चेहरे और शरीर पर सफेद दाग और धब्बे, जानें क्या है विटिलिगो और कैसे होती है ये बीमारी?
Vitiligo Disease: चेहरे और शरीर पर होने वाले सफेद दाग को अक्सर लोग कुष्ट रोग, पूर्व जन्म के पाप और अछूत की बीमारी समझते हैं. आइए जानें आखिर यह होती कैसे है?
चेहरा और शरीर पर निकलने वाले सफेद दाग और बड़े-बड़े पैचेज को इंग्लिश में विटिलिगो की बीमारी (Vitiligo Disease) कहते हैं. अक्सर लोग इसे पूर्व जन्म का पाप, कुष्ट रोग, छूआछूत से जोड़कर देखते हैं लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कुछ नहीं है.
लोग ऐसे लोगों के साथ उठना-बैठना साथ में खाना-पीना तक नहीं करते हैं जोकि हमारे समाज की एक बहुत ही दुखद स्थिती है. हम इसके बारे में इस आर्टिल में विस्तार से बात करेंगे कि किस कारण यह बीमारी होती है? साथ ही जानेंगे कि यह विटिलिगो क्या है?
चेहरे पर सफेद दाग निकलने के हो सकते हैं ये कारण
सबसे पहले यह समझिए कि यह बीमारी बिल्कुल भी छूआछूत नहीं है. यह साथ में खाने, उठने-बैठने से बिल्कुल भी नहीं फैलती है. इस बीमारी को होने के कई कारण हो सकते हैं. मेडिकल साइंस की भाषा में कहें तो एक्जिमा, सोरायसिस, मिलिया, टीनिया वर्सिकलर जैसे समस्याओं के कारण भी सफेद दाग हो जाते हैं.
कई बार धूप के कारण भी त्वचा पर सफेद दाग निकलने लगते हैं. शरीर में जब पौष्टिक तत्वों की कमी होने लगती है तब भी सफेद दाग हो जाते हैं. बहुत ज्यादा जंक फूड, स्ट्रेस, शरीर में गंदगी जमा होने के कारण सफेद दाग की समस्या होती है.
विटिलिगो के शुरुआती लक्षण क्या है?
जब त्वचा का रंग सफेद होने लगे और उसके आसपास के बाल का कलर भी व्हाइट होने लगे तो समझ जाएं यह विटिलिगो के लक्षण हैं. हालांकि, यह ऐसे दाग-धब्बे होते हैं जिसमें किसी भी तरह की खुजली और दर्द नहीं होता है. लेकिन ज्यादा गर्मी के कारण पसीने और जलन होने लगती है. अगर सफेद दाग के आसपास के बालों को रंग नहीं बदला है तो इलाज के जरिए ऐसे दागों को ठीक करने की पूरी संभावना है. अपने शरीर को हमेशा चेक करते रहें अगर कभी भी आपको अपने स्किन के कलर में बदलाव लगे तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं.
इस बीमारी में मेलोनोसाइट की होती है कमी
त्वचा का रंग बना रहे इसलिए उसके सेल्स में मेलोनोसाइट होना बेहद जरूरी है. अगर यह कम या खत्म होने लगे तो इसके कारण सफेद दाग हो सकते हैं. इसके कई कारण भी हो सकते हैं. अगर इंसान की इम्युनिटी में किसी भी तरह की गड़बड़ी शुरू हो जाए तब भी त्वचा का रंग बदलने लगता है. जिसके कारण मेलोनोसाइट के सेल्स अपने आप नष्ट होने लगते हैं. खानपान में मिलावट, प्रदूषण, फल और सब्जियों को उगाने में आजकल पेस्टिसाइड्स का काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. यह सब भी शरीर में कई सारी बीमारियों का जोखिम बढ़ाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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