Vitiligo: क्यों होती है सफेद दाग की समस्या, क्या हैं इसके कारण और कैसे पाएं निजात?
Vitiligo Cause and Treatment: त्वचा पर कुछ छोटे सफेद निशान दिखना और फिर इनका लगातार बड़ा होते जाना, किसी भी व्यक्ति को भावनात्मक रूप से परेशान करने के लिए काफी होता है. ये विटिलिगो की समस्या है...
Vitiligo leucoderma: सफेद दाग की समस्या को विटिलिगो और ल्यूकोडर्मा नाम से भी जाना जाता है. यह समस्या यूं तो किसी इंसान की सेहत पर कोई बुरा असर नहीं डालती है (Vitiligo effects on body). लेकिन जो लोग इसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं, उन्हें मानसिक और भावनात्मक समस्याएं काफी हद तक परेशान कर सकती हैं (Vitiligo effects on mental and emotional health). विटिलिगो क्यों होती है, इसके फैलने का पैटर्न क्या है, जैसे सवालों के जवाब आपको यहां मिलेंगे...
क्यों होती है सफेद दाग की समस्या?
सफेद दाग की समस्या का कोई भी एक पुख्ता कारण नहीं है. हालांकि जिन संभावित कारणों पर हेल्थ एक्सपर्ट्स एकमत हैं उनमें, इन्यूनिटी संबंधित डिसऑर्डर, अनुवांशिकता, थायरॉइड जैसे कई कारण शामिल हैं. अब सवाल यह आता है कि आखिर शरीर के अंदर ऐसा क्या होता है, जो त्वचा इस तरह अपनी रंगत खोकर सफेद होने लगती है? तो अब इसका उत्तर जानते हैं...
कैसे होती है विटिलिगो की समस्या?
- विटिलिगो यानी सफेद दाग की समस्या त्वचा पर तब होने लगती है जब त्वचा को रंगत देने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं. मेडिकल की भाषा में इन कोशिकाओं को मेलेनोसाइट्स (Melanocytes) कहते हैं. ये जिस वर्णक यानी रंग को तैयार करती हैं, वही त्वचा को रंगत देता है और इसे मेलेनिन (Melanin) कहते हैं.
- जब शरीर में मेलेनोसाइट्स नष्ट हो जाती हैं तो मेलेनिन का उत्पादन नहीं हो पाता है. ऐसे में शरीर के जिस अंग या भाग में यह समस्या हो जाती है, वहीं की त्वचा का रंग बदलकर सफेद हो जाता है. इसलिए इस समस्या को सफेद दाग कहा जाता है.
सफेद दाग का पैटर्न क्या है?
- सफेद दाग किसी व्यक्ति को किस हद तक प्रभावित करेगा, उसके शरीर में कहां तक फैलेगा, इस बारे में पुख्ता रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता. क्योंकि यह व्यक्ति के शरीर और मेलेनोसाइट्स की उपलब्धता पर निर्भर करता है. किसी व्यक्ति के शरीर में सिर्फ एक-दो छोटे निशान बनकर भी यह समस्या रुक सकती है तो किसी के पूरे शरीर पर यह हो सकती है.
- नाक, कान और आंख और मुंह के अंदरूनी हिस्सों की त्वचा में भी यह समस्या हो सकती है. हालांकि इसका देखने, सुनने और सूंघने की प्रक्रिया पर कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलता है.
किस उम्र में होती है विटिलिगो?
विटिलिगो की समस्या आमतौर पर सभी रोगियों में 40 साल की उम्र से पहले ही नजर आ जाती है. इस बीमारी से ग्रसित लोगों में करीब आधे मरीजों की उम्र 20 साल से कम होती है. यही उम्र बच्चे की करियर और लाइफ पर फोकस करने की होती है. ऐसे में विटिलिगो की समस्या उसे शारीरिक रूप से भले ही परेशान ना करे लेकिन मानसिक और भावनात्मक रूप से इसे स्वीकार करना कई बच्चों और युवाओं के लिए काफी मुश्किल भरा होता है. ऐसे में आप इन्हें संभालने के लिए काउंसलर की मदद जरूर लें.
विटिलिगो का उपचार
- अनुभवी आयुर्वेदिक वैद्य की देखरेख में अपना उपचार कराकर आप इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित कर सकते हैं. कुछ लोगों में समय रहते इलाज कराने पर यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो जाती है जबकि कुछ लोगों में अपेक्षा के अनुसार रिजल्ट नहीं आ पाता है. यही कारण है कि डॉक्टर्स इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर देना का दावा नहीं करते हैं.
- जब शरीर पर एक या दो छोटे वाइट स्पॉट्स ही नजर आने शुरू हों, तभी आप डॉक्टर से संपर्क करें. हम एक बार फिर सुझाव देना चाहेंगे कि आप अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करेंगे तो दवाओं के बिना किसी तरह के साइडइफेक्ट के आपकी समस्या कंट्रोल हो सकती है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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