Cause Of Vomiting During Pregnancy: क्या आपको पता है प्रग्नेंसी में उल्टिंयां क्यों आती हैं? क्यों शादी के बाद महिलाओं को उल्टी आने पर कहा जाता है कि कहीं प्रेग्नेंट तो नहीं है. प्रेग्नेंसी के दौरान उल्टी होने की समस्या आमतौर पर सुबह के समय सबसे अधिक महसूस होती है. मन खराब रहता है और इस कारण बहुत बेचैनी भी होती है. इस समस्या को मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness) कहा जाता है.
प्रेग्नेंसी होने पर उल्टी आना शरीर के अंदर हो रहे बदलावों का एक संकेत होता है. ऐसा नहीं है कि जब तक प्रेग्नेंसी रहती है, तब तक ही उल्टियां होती हैं. बल्कि कंसीव होने के छठें हफ्ते से लेकर तीन महीने पूरे होने तक यह समस्या ज्यादातर महिलाओं को फेस करनी पड़ती है. इसे फेस करना इतना आसान भी नहीं होता है, जितना आसान इस बारे में पढ़ना या लिखना है. यह सिचुएशन महिलाओं को बहुत परेशान करने वाली और कमजोरी महसूस कराने वाली होती है. लेकिन ऐसा नहीं है कि प्रेग्नेंसी होने पर हर महिला को उल्टी होने की समस्या होती हो. इस बारे में यहां विस्तार से जानें...
प्रेग्नेंसी में कितने दिन होती है उल्टी की समस्या?
- कंसीविंग होने के बाद हर महिला को उल्टियां आने की समस्या हो ये जरूरी नहीं है. एक अनुमान के मुताबिक, करीब 70 प्रतिशत महिलाओं को प्रेग्नेंसी होने पर पहले ट्राइमेस्टर यानी गर्भावस्था की पहली तिमाही के दौरान वॉमिटिंग आने की समस्या होती है.
- जबकि कुछ महिलाओं को यह समस्या पहली तिमाही के बाद भी रह सकती है. लेकिन जल्द ही ठीक भी हो जाती है. हालांकि कुछ चुनिंदा मामलों में महिलाओं को पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान भी उल्टियां होने की समस्या रह सकती है. मां और बच्चे की सेहत के लिहाज से यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं मानी जाती है. इस स्थिति को मेडिकल भाषा में 'हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम' कहते हैं.
- यदि आप उन महिलाओं में हैं, जिन्हें तीन महीने बीतने के बाद भी उल्टियां होने की समस्या बनी हुई है तो परेशान ना हों बल्कि अपनी डॉक्टर के संपर्क में रहें और उनकी बताई बातों को अपनाएं. आप और बेबी दोनों सेफ रहेंगे. लेकिन यदि आप उन महिलाओं में शामिल हैं, जिन्हें प्रेग्नेंसी होने पर बिल्कुल भी उल्टियां नहीं आईं तो भी कोई घबराने की बात नहीं है. यह पूरी तरह सेफ और नॉर्मल स्थिति है.
प्रेग्नेंसी में क्यों होती है उल्टी होने की समस्या?
- कंसीव होने के बाद छठवें हफ्ते से मितली या उल्टी की समस्या शुरू होती है और ऐसा यूट्रस यानी गर्भाश्य में हो रही इंप्लांटेश प्रॉसेस के कारण होता है. जब एग फर्टाइल होने के बाद गर्भाश्य की परत से जुड़ता है तो इससे यूट्रस से जुड़ा ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG) नाम का प्लेसेंटा अधिक मात्रा में हॉर्मोन का सीक्रेशन शुरू कर देता है, जो मितली की वजह बनता है.
- इसके साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान शुरुआती महीनों में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है, यह भी HCG की तरह उल्टी और मितली की समस्या को ट्रिगर करने का काम करता है.
- प्रेग्नेंसी के दौरान हॉर्मोनल इंबैलेंस के अलावा मिलती और उल्टियां आने का जो दूसरा बड़ा कारण है, वह है डायजेशन का स्लो होना. जब खाई हुई चीजें ठीक से पच नहीं पाती हैं और हॉर्मोन्स भी डिस्टर्ब होते हैं तो मितली और उल्टियां परेशान करती हैं.
क्यों उल्टी आते ही कहा जाता है-प्रेग्नेंट तो नहीं है!
- शादी के कुछ महीने बाद से ही किसी भी महिला को उल्टी और अपच संबंधी इस समस्या होने पर इस सवाल का बहुत अधिक सामना करना पड़ता है. जैसे ही उसे मितली की समस्या होती है या उल्टियां आती हैं तो लगभग हर मामले में पहला सवाल यही पूछा जाता है कि प्रेग्नेंट तो नहीं हैं! हालांकि इस सवाल के पीछे कुछ और नहीं बल्कि सोशल फैकटर्स ज्यादा जिम्मेदार हैं. हमारे समाज में शादी के बाद पैरेंटिंग को ही अलगे टारगेट के रूप में देखा जाता है.
- अगर लॉजिक की बात करें तो इस सवाल के पीछे एक बड़ी वजह ये होती है कि प्रेग्नेंसी होने पर सबसे पहले उल्टियां होना या मॉर्निंग सिकनेस ही ऐसी स्थिति है जो प्रेग्नेंसी का विजिबल सिंप्टम है. यानी जिसे दूसरे लोग नोटिस कर पाते हैं. जबकि प्रेग्नेंसी का पहला लक्षण को पीरियड्स मिस होना होता है लेकिन इस बारे में महिला के अलावा अन्य लोगों को पता नहीं चल पाता. इसलिए यह सवाल पूछा जाता है.
- खुद महिलाओं के लिए भी पीरियड्स मिस होने के बाद मॉर्निंग सिकनेस, वॉमिटिंग ऐसा दूसरा लक्षण होता है, जो प्रेग्नेंसी को कंफर्म करता है. हालांकि आज के आज के समय में प्रेग्नेंसी टेस्ट किट मौजूद हैं, लेकिन पहले के समय में ऐसा नहीं था इसलिए उल्टी आने को प्रेग्नेंसी से जोड़कर देखा जाता है.
Disclaimer: यदि आप प्रेग्नेंट हैं या इस बारे में विचार कर रही हैं तो इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपनी डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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