नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में 99 प्रतिशत महिलाओं और 89 प्रतिशत पुरुषों की प्राथमिकता सेहत है और उन्हें लगता है कि स्वस्थ रहने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाना चाहिए. मगर विरोधाभास यह है कि भारत की कुल आबादी के करीब 28 प्रतिशत लोगों को चिकित्सा की जरूरत है, फिर भी वे समय पर चिकित्सक से नहीं मिलते. यह बात सुरक्षात्मक स्वास्थ्य प्रदाता प्रतिष्ठान (Preventive health provider Installations) 'हेल्दी' की रिपोर्ट 'हेल्दी इंसाइट्स इंडिया 2017' की रिपोर्ट में सामने आई है.
रिपोर्ट में अक्टूबर, 2015 से मार्च, 2017 तक 18 माह के दौरान 10 लाख स्वास्थ्य परीक्षणों के आंकड़े हैं, सेहत का इतिहास है और जीवनशैली का विश्लेषण भी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेहतमंद होने की शुरुआत हमारी सोच से होती है. 91 प्रतिशत लोगों का विश्लेषण करने से पता चला कि वे अच्छी सेहत पाने के लिए जीवनशैली में जरूरी बदलाव लाने के रास्ते पर हैं.
बताया गया है कि दिल्ली में 18 प्रतिशत महिलाएं और 34 प्रतिशत पुरुष हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित हैं या इसका जोखिम है, जबकि 14 प्रतिशत महिलाएं और 32 प्रतिशत पुरुष हाई कोलेस्ट्रोल की समस्या से ग्रसित हैं. राजधानी में सभी आयु वर्ग के लोगों में वजन की समस्या, अपर्याप्त शारीरिक श्रम, धूम्रपान, तनाव, चिंता और अवसाद आदि जीवनशैली की प्रमुख समस्याएं हैं.
अध्ययन में सभी पेशेवर कार्यक्षेत्रों को शामिल किया गया है, जैसे बीएफएसआई, सूचना प्रौद्योगिकी व इस पर निर्भर सेवाएं, निर्माण, खुदरा व गैर सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं.
खुदरा व्यापार क्षेत्र में कार्यरत लोगों में मोटापे की समस्या सबसे अधिक पाई गई, जिनमें 71 प्रतिशत महिलाएं और 83 प्रतिशत पुरुष शामिल हैं. उच्च रक्तचाप एक अन्य बड़ी समस्या है जो कामकाजी लोगों से जुड़ी है. यह दोषपूर्ण भोजन, तनाव, मोटापा, निरंतर बैठे रहने, धूम्रपान और मदिरा सेवन आदि से बढ़ती है.
रिपोर्ट के अनुसार, बीएफएसआई सेक्टर में 15 प्रतिशत महिलाएं और 29 प्रतिशत पुरुष, सूचना प्रौद्योगिकी व इस पर निर्भर सेवाओं के क्षेत्र में 24 प्रतिशत महिलाएं व 42 प्रतिशत पुरुष, निर्माण क्षेत्र की 12 प्रतिशत महिलाएं और 22 प्रतिशत पुरुष, खुदरा क्षेत्र में 24 प्रतिशत महिलाएं व 39 प्रतिशत पुरुष और गैर सूचना प्रौद्योगिकी सेवा क्षेत्र की 11 प्रतिशत महिलाएं व 27 प्रतिशत पुरुष में उच्च कोलेस्ट्रोल से पीड़ित पाए गए. ये लोग कभी भी मधुमेह व उच्च रक्तचाप की चपेट में आ सकते हैं.
बताया गया है कि 26 प्रतिशत से अधिक महिलाएं रक्त की कमी, 88 प्रतिशत महिलाएं विटामिन डी की कमी और 12 प्रतिशत से अधिक महिलाएं असामान्य टीएसएच लेवल से पीड़ित हैं.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि देश की 20 प्रतिशत आबादी बैठे रहने वाला जीवन जी रही है, जिससे इन्हें रक्त नलिकाओं व हृदय रोगों का खतरा सामान्य से दोगुना अधिक है.
हेल्दी के संस्थापक, रेकुराम वरदराज एवं कृष्णा उलागारत्वगन ने संयुक्त वक्तव्य में बताया, "हेल्दी इंसाइट्स इंडिया 2017 रिपोर्ट में यह बात साफ हुई है कि इंटेलिजेंट प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स और बिग डाटा मॉडल्स की मदद से बीमारियों की रोकथाम और जन स्वास्थ्य प्रबंधन में सफलता पाई जा सकती है."
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि सेहत पर ध्यान दिया जाए और प्रभावी जीवनशैली अपनाई जाए. सही समय पर सहायता लेना ही प्रमुख समाधान है.
अध्ययन में जिन शहरों को शामिल किया गया, उनमें दिल्ली व एनसीआर के अलावा बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई और पुणे शामिल हैं.
सेहत के लिए जीवनशैली बदलना चाहते हैं दिल्लीवासी
एजेंसी
Updated at:
26 Apr 2017 02:05 PM (IST)
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