नई दिल्ली: वेटलिफ्टिंग यूं तो बहुत पॉपुलर है, लेकिन इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि इसमें थोड़ी सी भी लापरवाही होने पर एल्बो डिस्लोकेशन का खतरा बढ़ जाता है और ये एक ऐसी समस्या है जिसको नजरअंदाज करना सेहत के लिए बहुत ही घातक है.


इसका ताजा उदाहरण रियो ओलंपिलक्स के दौरान एक वेटलिफ्टर की एल्बो डिस्लोकेट होने के मामले ने काफी सुर्खियां बटोरी थी और लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था की यह समस्या कितनी खतरनाक हो सकती है .

इसके बारे में विस्तार से बता रहें हैं मैक्स सुपर स्पेशियलटी हॉस्पिटल के यूनिट हेड प्रमुख सलाहकार और सीनिया ऑर्थो एक्‍सपर्ट डॉ अनिल अरोड़ा.

क्यों होती है ये समस्या?

जो भी व्यक्ति वेटलिफ्टिंग करता है उसका सारा भार कन्धों के सामानांतर होना चाहिए ताकि जो भार मांसपेशियों पर पड़ता है वो व्यवस्थित रहे, क्योंकि थोड़ा सा भी असंतुलन एल्बो डिस्लोकेशन का कारण बन जाता है .

एल्बो डिस्लोकेट होने पर क्या करें?

ऐसी समस्या होने पर सबसे पहले किसी अच्छे ऑर्थो के डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि वो एल्बो को आसानी से रिलोकेट कर देते हैं .

डॉक्टर समस्या को देखते हुए पूरी स्थिति को ठीक से समझने के लिए एक्स रे, एम आर आई और सी टी स्कैन कराते हैं. उसके बाद आपकी स्थिति समझते हुए आपको इलाज मुहैया कराते हैं.

आप ऐसी समस्या होने पर आइस पैक्स का प्रयोग तुरंत रूप से कर सकते हैं . इसके अलावा कुछ सपोर्ट जैसे आर्म सीलिंग इत्यादि की सहायता भी ले सकते हैं.

क्या ना करें?

एल्बो डिस्लोकेट होने की स्थिति में कभी भी मसाज करने या करवाने की गलती ना करें .

कभी भी फोर्सफुली हड्डी को उसकी जगह बिठाने की गलती ना करें इससे वो समस्या स्थाई रूप से आपको अपनी चपेट में ले सकती है.