एनोरेक्सिया और बुलिमिया क्या है? टीनएजर्स में क्यों बढ़ रहा है इनका खतरा
एनोरेक्सिया और बुलिमिया ऐसी मानसिक बीमारियां हैं, जो टीनएजर्स के बीच तेजी से बढ़ रही हैं. इन बीमारियों में व्यक्ति अपने वजन को लेकर जरूरत से ज्यादा चिंता करने लगता है. आइए जानते हैं इसके बारे में..
एनोरेक्सिया और बुलिमिया ऐसी मानसिक बीमारियां हैं, जो टीनएजर्स के बीच तेजी से बढ़ रही हैं. सोशल मीडिया पर 'परफेक्ट' दिखने का दबाव, तनाव और कम आत्मविश्वास इन समस्याओं को और बढ़ा रहे हैं.अगर समय रहते इनका इलाज न किया जाए, तो ये बीमारियां शारीरिक और मानसिक हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकती हैं. आइए जानते हैं यहां..
एनोरेक्सिया क्या है?
एनोरेक्सिया एक खाने से जुड़ा विकार (ईटिंग डिसऑर्डर) है जिसमें व्यक्ति अपनी वजन को लेकर अत्यधिक चिंता करता है. इस चिंता में व्यक्ति खाने से परहेज करने लगता है और बहुत कम खाना शुरू कर देता है. उसे हमेशा लगता है कि उसका वजन ज्यादा है, चाहे वह कितना भी दुबला क्यों न हो. इस वजह से वह धीरे-धीरे कुपोषण का शिकार हो जाता है.
बुलिमिया क्या है?
बुलिमिया भी एक ईटिंग डिसऑर्डर है, लेकिन इसमें व्यक्ति पहले तो बहुत सारा खाना खा लेता है, जिसे बिंज ईटिंग कहते हैं, और फिर उसे निकालने के लिए उल्टी करता है या अत्यधिक एक्सरसाइज करता है. बुलिमिया से पीड़ित व्यक्ति को अपने शरीर की छवि को लेकर बहुत ज्यादा चिंता होती है, और वह अपना वजन कम करने के लिए अनहेल्दी तरीकों का सहारा लेता है.
टीनएजर्स में क्यों बढ़ रहा है खतरा?
- सोशल मीडिया का असर: आजकल के टीनएजर्स सोशल मीडिया पर घंटों बिताते हैं, जहां उन्हें अक्सर एक 'परफेक्ट' बॉडी की छवि दिखाई जाती है. इस आदर्श छवि को पाने के चक्कर में वे खुद को भूखा रखने या अनहेल्दी तरीके अपनाने लगते हैं.
- प्रेशर और तनाव: टीनएजर्स पर पढ़ाई, करियर और दोस्तों के बीच फिट होने का दबाव होता है. इस तनाव की वजह से कई बार वे खाने की आदतों को कंट्रोल करने लगते हैं, जो आगे चलकर एनोरेक्सिया या बुलिमिया का रूप ले सकता है.
- कम आत्मसम्मान: जिन टीनएजर्स का आत्मसम्मान कम होता है, वे खुद को दूसरों से कमतर महसूस करने लगते हैं. खुद को बेहतर बनाने के लिए वे वजन कम करने पर जोर देते हैं, जिससे इन ईटिंग डिसऑर्डर्स का खतरा बढ़ जाता है.
बचाव कैसे करें?
- परिवार का समर्थन: परिवार के सदस्यों को टीनएजर्स के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए और उन्हें भावनात्मक समर्थन देना चाहिए.
- हेल्दी आदतें: टीनएजर्स को सही तरीके से खाना खाने और नियमित एक्सरसाइज करने की आदत डालनी चाहिए, ताकि वे अपने शरीर को लेकर सकारात्मक सोच बना सकें.
- मदद लें: अगर किसी टीनएजर में एनोरेक्सिया या बुलिमिया के लक्षण दिखते हैं, तो उसे तुरंत किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए.
- समय पर सही जानकारी और सहायता से इन खतरनाक ईटिंग डिसऑर्डर्स से बचा जा सकता है और टीनएजर्स को एक स्वस्थ जीवन जीने का मौका मिल सकता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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