ब्रेन स्ट्रोक आपके शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकता है. इसे एक तरह से आप लकवा भी कह सकते हैं. यह समस्या 50 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में देखने को मिलती है. लेकिन बीते कुछ सालों में 30 से 35 साल से कम उम्र वाले लोगों में भी यह दिक्कत देखने को मिल रही है. सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है. आइए जानें इसके पीछे का कारण. मेडिकल टर्म में इसे इंट्राक्रैनियल हेमोरेज (intracranial hemorrhage) के नाम से जाना जाता है. ब्रेन हमेरेज को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर यह कैसे होता है? और इससे कैसे बचा जा सकता है. 


दिमाग की नस फटने के पीछे का कारण


ब्रेन हमरेज के कई कारण हो सकते हैं. जैसे किसी व्यक्ति को सिर में गंभीर चोट लग गई हो.  गंभीर चोट, कार दुर्घटना, सिर पर किसी तरह के चोट लगने से ब्रेन हेमरेज हो सकता है. 


हाई बीपी की वजह से भी दिमाग के नसों को जो ब्लड वेसेल्स की दीवारों को नुकसान पहुंचा सकता है और ब्लड वेसेल्स की ब्लीडिंग या फटने का कारण बन सकती है.


ब्रेन में होने वाली ब्लड क्लॉटिंग की वजह से भी ब्रेन हेमरेज का कारण बन सकती है. 


धमनियों में फैट जमा होने या एथेरोस्क्लेरोसिस की वजह से भी ब्रेन हेमरेज का खतरा बढ़ता है. 


टूटा हुआ सेरेब्रल एन्यूरिज्म यानी कि ब्लड वेसेल्स की दीवार में एक कमजोर स्थान जो फूल जाता है और फट जाता है.


दिमाग की नसों की दीवारों के अंदर अमाइलॉइड प्रोटीन यानी सेरेब्रल अमाइलॉइड एंजियोपैथी की वजह से भी ब्रेन हेमरेज होता है. 


ब्रेन ट्यूमर जो दिमाग के टिशूज पर दबाव डालता है इससे भी ब्लीडिंग हो सकती है और ब्रेन हेमरेज हो जाता है. 


धूम्रपान, खूब शराब पीना या कोकीन पीने से भी ब्रेन हेमरेज का खतरा बढ़ता है. 


गर्भावस्था में एक्लम्पसिया और इंट्रावेंट्रिकुलर ब्लीडिंग के कारण भी ब्रेन हेमरेज का कारण बन सकता है. 


ब्रेन हेमरेज कैसे होता है? 


ब्रेन हेमरेज के कई कारण हो सकते हैं. जब ब्रेन को सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है तो दिमाग के सेल्स मरने लगते हैं. ऐसे में शरीर के गतिविधियां प्रभावित होने लगते हैं. जिसे इंट्राक्रानियल हेमरेज या सेरेब्रल हेमरेज कहा जाता है. ऐसे में अगर तीन से चार मिनट से अधिक समय तक ऑक्सीजन की कमी हो जाए तो इससे दिमाग की नसें बुरी तरह से प्रभावित होती है. इससे दिमाग की नसें काफी ज्यादा प्रभावित होती है. 


ऐसे में शरीर के किसी भाग में लकवा मारना


शरीर का कोई हिस्सा सुन्न होना या कमजोरी होना


खाने-पीने में कठिनाई होना


आंखों की रोशनी पर असर पड़ना.


दौरे पड़ना और सिरदर्द होना


इसकी वजह इंसान की मौत भी हो सकती है. 


ब्रेन हेमरेज से कैसे बचें


ब्रेन हेमरेज से बचना है तो हमेशा अपना बीपी चेक करवाते रहें. खासकर हाई बीपी के मरीज को तो अक्सर अपना बीपी चेक करवाते रहना चाहिए. हाई कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए वजन कंट्रोल में रहना बेहद जरूरी है. ऐसे में शराब कम पिएं साथ ही साथ हेल्दी डाइट लें और रोजाना एक्सरसाइज करें. डायबिटीज है तो शुगर को हमेशा कंट्रोल में रखें. सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस मौसम में खून गाढ़ा हो जाता है. खून की पतली नली संकरी हो जाती है. जिसके कारण ब्लड पर प्रेशर पड़ता है. जिसके कारण ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ जाता है. 


ब्लड प्रेशर है बड़ी वजह


ब्लड प्रेशर के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ता है. ब्लड प्रेशर ज्यादा होने पर दिमाग की नसें फट सकती है. या उसमें रुकावट पैदा हो सकती है. सर्दी के मौसम में बीपी को कंट्रोल में रखना बेहद जरूरी है. ब्रेन स्ट्रोक के मरीज को 3 घंटे के अंदर हॉस्पीटल ले जाना बेहद है जरूरी. 


किन लोगों को बचकर रहने की जरूरत है?


टाइप-2 डायबिटीज के मरीज


हाई बीपी के मरीज


जिन लोगों के ज्यादा वजन है


जो व्यक्ति धूम्रपान, शराब और गर्भनिरोधक गोलियां ज्यादा खाते हैं


जिन लोगों का कॉलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.