18 साल और ज्यादा की उम्र के लोगों को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की विकसित वैक्सीन दी सकती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ पैनल ने बुधवार को सिफारिश की है. पैनल ने कहा कि सिफारिश में 65 साल के अलावा ज्यादा उम्र के लोग भी शामिल हैं. हालांकि, इस बात के कम सबूत हैं कि वैक्सीन ने उस ग्रुप में कितना अच्छा काम किया.
ऑक्सफोर्ड की कोविड वैक्सीन की सिफारिश
विशेषज्ञों के ग्रुप ने उन जगहों पर वैक्सीन के इस्तेमाल की सिफारिश की है जहां कोरोना वायरस के वेरिएन्ट्स भी फैल रहे हैं. ये एलान वैक्सीन को कई झटके लगने के बाद आया है, जिससे सवाल पैदा हो रहा है कि क्या उसका इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए मुनासिब है, या उन जगहों पर जहां वायरस का वेरिएन्ट पहले सामने आ चुका है. वैक्सीन पर अंतरिम सिफारिश में पैनल ने बताया कि दो डोज को पहले और दूसरे के बीच 8-12 सप्ताहों के अंतराल पर दिया जाना चाहिए.
एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन शुरुआती मानव परीक्षण में लक्षणात्मक कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षित साबित हुई थी. वैक्सीन को ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन और कई अन्य देशों में इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जा चुकी है. अमेरिकी नियामक संस्था को बड़े पैमाने पर अंतिम चरण के मानव परीक्षण के नतीजों का इंतजार है, इसलिए अमेरिका में सामने नहीं आई है.
स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट ऑन इम्यूनाइजेशन के चेयरमैन डॉक्टर अलेजानद्रों कराविटो ने कहा कि उसके इस्तेमाल की सिफारिश नहीं करने की कोई वजह नहीं है, यहां तक कि उन देशों में भी जहां वेरिएन्ट्स का प्रसार हो रहा है. उन्होंने माना कि 65 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों के लिए वैक्सीन के असर पर डेटा की कमी थी, जिसके चलते कई देश बुजुर्गों पर इस्तेमाल के खिलाफ प्रेरित हुए. यूरोपीय यूनियन नियामक से हरी झंडी मिल जाने के बावजूद यूरोप, फ्रांस और जर्मनी ने उस ग्रुप पर डेटा के अभाव का हवाला देते हुए 65 साल से ऊपर के लोगों को एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन नहीं लगाने का फैसला किया है.
कोरोना वायरस के वेरिएन्ट्स से खतरा
एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का मानव परीक्षण कोरोना वायरस के वेरिएन्ट्स के सामने आने से पहले मूल कोरोना वायरस के खिलाफ किया गया था. कंपनी की तरफ से बाद के परीक्षण में पता चला कि वैक्सीन ब्रिटिश और अमेरिकी वेरिएन्ट B.1.1.7 के खिलाफ काम करती है. लेकिन दक्षिण अफ्रीका में फैल रहे वेरिएन्ट 501.V2 के खिलाफ कितना अच्छा काम करती है, ये कम स्पष्ट है. लैब में परीक्षण से खुलासा हुआ कि ये शरीर के जरिए पैदा होनेवाली संक्रमण की लड़ाई में एंटीबॉडीज से बच गई. विशेषज्ञ पैनल ने कहा कि डेटा पूरा नहीं है कि प्रेगनेन्ट महिलाओं पर वैक्सीन कैसे काम करती है.
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