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कोरोना से ठीक होने के बाद कहीं आपके भी कूल्हे में तो नहीं रहता दर्द...इस नई बीमारी का हो सकते हैं शिकार

कोरोना के ठीक होने के बाद होने वाली जटिलताओं में अब एक और नई बीमारी शामिल हो गई है..जानिए इसके बारे में सबकुछ

Avascular Necrosis: पिछले कुछ सालों में कोरोना वायरस ने इस कदर तबाही मचाई है कि इससे ठीक होने के बाद भी लोग पूरी तरह से ठीक नहीं है. संक्रमित होने के बाद भी लोगों में कई सारे डिसऑर्डर देखने को मिले हैं कई सारी नई बीमारियां ने उन्हें घेर लिया है. कोरोना से ठीक हुए रोगियों में कई जटिलताएं पैदा हुई है जैसे कि mucormycosis , ब्लड क्लॉट्स, मधुमेह, थकान के अलावा और भी कई समस्याएं हैं. अब इस सूची में नई बीमारी का नाम जुड़ गया है और वो है एवस्कुलर नैक्रोसिस यानी ओस्टियोनक्रोसिस. इस स्थिति को हड्डी के टिशू की मृत्यु के रूप में वर्णित किया जाता है, जब रक्त की आपूर्ति कूल्हे के जोड़ तक नहीं पहुंचती है तो यह इस बात की तरफ इशारा करती है.

बता दें कि 2021- बीएमजे मामले की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि "कोविड -19 के बाद, एवीएन विकसित करने की अधिक प्रवृत्ति है, खासकर अगर रोगी स्टेरॉयड पर रहा हो.इसमें रोगी कूल्हे या कमर क्षेत्र के आसपास दर्द की शिकायत करेगा। इससे चलने में बहुत मुश्किल हो सकती है जिससे लंगड़ाहट हो सकती है.डॉक्टर के मुताबिक स्टेरॉयड-प्रेरित एवीएन तीन सप्ताह से तीन महीने तक कभी भी शुरू हो सकता है.अभी तक बोन मोर्टेलिटी दर के कुछ ही मामले दर्ज किए गए हैं, "चिकित्सक चिंतित हैं कि यह संख्या बढ़ सकती है क्योंकि एवीएन विकसित करने के लिए कोरोनवायरस से ठीक होने वाले रोगियों में तीन महीने से एक वर्ष तक का समय लग सकता है.

कई एक्सपर्ट की टीम ने बताया है कि इस कंडीशन में एक ही समय में एक हड्डी या कई हड्डियों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ज्यादा सतहों को ढहाने वाली लंबी हड्डियों के सिरे या जोड़ों को यह प्रभावित करता है. वहीं ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( ICMR)को एक प्रस्ताव पेश किया है जिसमें कोरोना से ठीक हुए रोगियों में अवैस्कुलर नैक्रोसिस के मामलों की जांच के लिए एक मल्टिसन्ट्रिक स्टडी की मंजूरी मांगी गई है.

क्या हैं इसके कारण

इसके होने की एक वजह में शामिल रक्त की आपूर्ति का नुकसान है, दूसरी वजह की बात करें तो ज्यादातर एस्टेरॉइड, शराब और सिकल सेल रोग के कारण होते हैं. बता दें कि स्टेरॉयड पर सभी रोगी अवस्कुलर नैक्रोसिस विकसित नहीं करते क्योंकि केवल यह उन लोगों में होता है जो कुछ स्टेरॉइड के प्रति संवेदनशील होते हैं या जिनके पास एवीएन विकसित करने का प्रिडिक्शन होता है.इसके अलावा एवीएन दर्दनाक घटनाओं जैसे फ्रैक्चर जोड़ों की अव्यवस्था या फिर कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान भी हो सकता है. हालांकि अभी तक इसका सटीक कारण ज्ञात में नहीं है. हालांकि एक और मुमकिन कारण ये भी है कि कोरोना उपचार के दौरान ली गई दवाओं से शरीर में रक्त का प्रभाव कम हो सकता है ऐसे में यह बीमारी जन्म ले सकती है.

रिस्क फैक्टर

– बोन डैमेज
- फ्रैक्चर
- रक्त वाहिकाओं को नुकसान 
- लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग
- सिकल सेल रोग
- पैंक्रियाज की सूजन
- कीमोथेरेपी 
- ऑटोइम्यून स्थितियां
- HIV
- हाइपरलिपिडिमिया या उच्च कोलेस्ट्रॉल जहां रक्त में लिपिड या वसा की अधिकता होती है.

कैसे करे इसका इलाज

यदि आप एवीएन का जल्दी डायग्नोसिस करते हैं, तो इसका इलाज किया जा सकता है, लेकिन यदि बाद में इसका डायग्नोसिस किया जाता है, तो व्यक्ति को अंडर गो  जॉइंट रिपलेसमेंट सर्जरी गुजरना पड़ सकता है। इसलिए, बीमारी की पहचान करने के लिए एमआरआई बहुत महत्वपूर्ण है, ”डॉक्टर का कहना है कि अगर एवीएन का इलाज नहीं किया गया तो कूल्हे स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो जाएंगे.

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Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

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