Carbon Baby Syndrome:दुनिया में एक से बढ़कर एक दुर्लभ बीमारी है, जिनमें से कुछ का इलाज मुमकिन है तो कुछ लाइलाज है.इन्हीं में से एक बीमारी है कार्बन बेबी सिंड्रोम, जिसमें बच्चा पैदाइश के वक्त तो गोरा रहता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है उसका रंग काला होता जाता है, ऐसा मामला पिछले महीने बिहार के भागलपुर से आया था जब एक ढाई साल के बच्चे का रंग अचानक काला पढ़ता जा रहा था. बच्चा जन्म के समय एकदम सही था, लेकिन समय के साथ उसका रंग स्याही जितना काला होता गया.. आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में.. क्या है इसके लक्षण और कैसे होता है इसका इलाज.


क्या है कार्बन बेबी सिंड्रोम


ये बीमार ही बहुत ही रेयर है. इसे यूनिवर्सल एक्वायर्ड मेलानोसिस नाम से जानते हैं. ये बीमारी 10 हजार लोगों में से किसी एक को ही होती है. बच्चे की पैदाइश के कुछ महीने बाद शरीर का रंग सुर्ख काला होने लगता है. स्किन में मेलानिन की मात्रा ज्यादा पैदा होने की वजह से ऐसा होने लगता है. खून में बीटा मेलानोसाइट्स और स्टूमेलिटन बढ़ने की वजह से यह परेशानी होने लगती है, डॉक्टर्स का मानना है कि सूरज की रोशनी पड़ने से मरीज की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ने लगती है और समय पर इलाज नहीं किया जाए तो इस वजह से ब्रेन, किडनी, लीवर जैसे अंग भी प्रभावित होने लगते हैं,जिससे बच्चे की जान भी जा सकती है.


कार्बन बेबी सिंड्रोम के लक्षण क्या है?



  • यह सिंड्रोम होने पर त्वचा का रंग गहरा काला हो जाता है.

  • पैर के तलवे और हथेली के रंग में बदलाव नजर आ सकता है.

  • पैची स्किन नजर आना भी इसके el लक्षणों में से एक हैं

  • पूरे शरीर का रंग भी बदलने लगता है


कार्बन बेबी सिंड्रोम का इलाज क्या है?


कार्बन बेबी सिंड्रोम का पता लगाने के लिए सबसे पहले मेलेनिन स्टिम्युलेटिव हार्मोन का टेस्ट किया जाता है, इस बीमारी का पता लगाने के लिए स्किन बायोप्सी भी की जाती है. हालांकि इसका इलाज संभव नहीं है, क्योंकि अब तक इस बीमारी की वजह सामने नहीं आई है.हां लेकिन धूप से बचाकर बच्चे को इस बीमारी के लक्षणों को बढ़ने से जरूर रोका जा सकता है. इसका पूरा इलाज संभव नहीं है, जो कुछ भी इलाज है वह सिर्फ लक्षणों को बढ़ने से रोक सकता है. अगर जिस किसी को भी यह समस्या है उसे धूप की रोशनी में नहीं आना चाहिए. सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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