क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, जानिए क्या है ये बीमारी जो मौत का कारण बन सकती है
सीओपीडी यानी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज क्रोनिक बीमारी है, जो फेफड़ों को कमजोर बना देता है. इसमें सांस लेने में परेशानी होती है. इसका परमानेंट इलाज नहीं है, इसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है.
Chronic Obstructive Pulmonary Disease : क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज (COPD) फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है। WHO के मुताबिक, दुनियाभर में समय से पहले मौत की वजहों में यह तीसरे नंबर पर आता है. 2019 में इसकी वजह से दुनिया में 32 लाख लोगों की मौत हो गई थी. यह एक क्रोनिक कंडीशन है मतलब एक बार इसकी चपेट में आने के बाद पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है. इसे सिर्फ मैनेज और फैलने से रोक सकते हैं. यही कारण है कि यह खतरनाक बीमारी है.
COPD क्या है
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी सीओपीडी में फेफड़े (Lungs) काफी ज्यादा कमजोर हो जाते हैं और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. इसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस भी कहते हैं. इस बीमारी में सांस फूलने लगती है, कमजोर फेफड़ों में इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इसके गंभीर होने पर जान जाने का खतरा भी रहता है. सीओपीडी के मरीजों के फेफड़े धुएं या प्रदूषण से क्षतिग्रस्त भी हो सकते हैं.
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COPD के सबसे बड़े कारण
सीओपीडी में खांसी, बलगम और सांस फूलना जैसे लक्षण दिख सकते हैं. ये लक्षण लंबे समय तक रहते हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक, सीओपीडी के लक्षण समय के साथ और ज्यादा गंभीर बनते जाते हैं.
क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज का सबसे बड़ा कारण स्मोकिंग है. करीब 46% लोग इसी वजह से बीमारी की चपेट में आते हैं. इसका दूसरा कारण वायु प्रदूषण है, जिसकी वजह से 21% लोगों को सीओपीडी होता है. इसके बाद कारखानों और चूल्हे से निकाल धुंआ तीसरा सबसे बड़ा कारण होता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हमारे फेफड़ों की दीवारों में असंख्य छोटी-छोटी वेसिकल्स (Vesicles) होती हैं, जिन्हें अल्वियोली भी कहते हैं. ये हवा को सोखती हैं. जब धुएं और प्रदूषण के महीन कण फेफड़ों में पहुंचते हैं तो सूजन पैदा कर देते हैं, जिसकी वजह से अल्वियोली ब्लॉक हो सकते हैं. लगातार ऐसा होने से सीओपीडी हो जाता है.
सीओपीडी का इलाज
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस बीमारी का पता जितनी जल्दी लगता है, उतनी ही जल्दी इसका इलाज संभव हो सकता है. एक बीमारी एक दिन में नहीं होती है और धीरे-धीरे शरीर में अपनी जगह बनाती है, ऐसे में इसे पहचान पाना आसान हो जाता है. जैसे ही इसके लक्षण नजर आए तुरंत जांच करवाकर इसे कंट्रोल कर सकते हैं. चूंकि यह क्रोनिक बीमारी है,इसलिए इसका इलाज भी लंबे समय तक ही चलता है. फेफड़ों में सूजन कम करने एंटी इंफ्लेमेटरी स्टेरॉयड डॉक्टर देते हैं. इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीबायोटिक देते हैं. कई बार गंभीर मामलों में सर्जरी भी की जाती है.
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COPD का इलाज न करवाने पर खतरे
लंग्स कैंसर
लंग्स इन्फेक्शन, फ्लू या निमोनिया
हार्ट की समस्याएं
कमजोर मसल्स और हड्डियां
डिप्रेशन और एंग्जायटी
मौत का खतरा
COPD से खुद को कैसे बचाएं
धूल-मिट्टी वाली जगहों पर ज्यादा देर तक न रहें.
एयर पॉल्यूशन में बाहर जाने से बचें.
स्मोकिंग, सेकेंड हैंड स्मोकिंग से बचें.
लंग्स इंफेक्शन से बचें, डॉक्टर से संपर्क करें.
फिजिकली एक्टिव रहें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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