What is colitis: आजकल कोलाइटिस की समस्या बहुत अधिक देखने-सुनने को मिल रही है. ज्यादातर लोग इसबीमारी को इसके नाम से ना जानकर इसे पेट की सूजन, आंतों में सूजन के नाम से जानते हैं और बोल-चाल में इसी भाषा का उपयोग किया जाता है. पेट में यह सूजन आमतौर पर बड़ी आंत के निचले हिस्से में, मलाशय (रेक्टम) के पास होती है. यदि शुरुआत में ही ध्यान ना दिया जाए तो यह पूरे कोलन को अपनी चपेट में ले लेती है और व्यक्ति को मोशन संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं. यहां इस बीमारी के लक्षण, कारण और उपचार के बारे में बताया जा रहा है...


कोलाइटिस क्या है?
कोलाइटिस बड़ी आंत में होने वाली सूजन संबंधी बीमारी है, जो रेक्टम और कोलन तक पूरी तरह फैल सकती है. इस बीमारी से पीड़ित होने पर रोगी की बड़ी आंत की परत की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं और नई कोशिकाएं बननी बंद हो जाती हैं. इस दौरान बड़ी आंत में अल्सर (छाले) बनने लगते हैं, जिनके कारण मोशन (मल त्याग) करते समय पस, म्यूकस या ब्लीडिंग होना शुरू हो जाता है.
 
कोलाइटिस के लक्षण



  • बार-बार मोशन (मल त्याग) के लिए तेज प्रेशर फील होता है लेकिन जब मल त्यागने का प्रयास करते हैं तो आता नहीं है.

  • पेट में दर्द और ऐंठन होना

  • भूख में कमी होना या बिल्कुल भूख ना लगना

  • रेक्टल में दर्द होना

  • मोशन के समय गुदा मार्ग (रेक्टम) से ब्लीडिंग होना

  • लगातार वजन घटना

  • हर समय कमजोरी लगना और बिस्तर से उठने की इच्छा ना होना

  • जोड़ों में दर्द होना (जॉइंट्स पेन)

  • इनके अलावा और भी कई लक्षण कोलाइटिस का संकेत देते हैं. ये व्यक्ति के शरीर और रोग की स्थिति पर निर्भर होते हैं.


कोलाइटिस के प्रकार और कारण
मुख्य रूप से कोलाइटिस 4 तरह की होती है. हर समस्या का कारण अलग है और अलग व्यक्तियों में इसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं...


1. अल्सरेटिव प्रोक्टाइटिस (Ulcerative colitis): यह सबसे कॉमन प्रकार की कोलाइटिस है और यह तब होती है, जब अपने ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ माइक्रोब्स के प्रति अति सक्रिय हो जाती है. जैसे, पाचन तंत्र में मौजूद बैक्टीरिया. फिर अल्सरेटिव कोलाइटिस के अपने भी कई प्रकार होते हैं.



2. इस्केमिक कोलाइटिस (Ischemic colitis): जब कोलन या बड़ी आंत के निचले हिस्से में रक्त का प्रवाह अस्थाई रूप से बाधित हो जाता है, तब पाचनतंत्र की कोशिकाओं को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और ब्लड फ्लो नहीं मिल पाता है. इस कारण ये कोशिकाएं डैमेज होने लगती हैं.


3. माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस (Microscopic colitis): माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस दो प्रकार की होती है. माइक्रोस्कोप द्वारा कोलन से सैंपल लेकर ही इसके प्रकार के बारे में पता लगाया जाता है और इलाज किया जाता है.


4. शिशुओं में एलर्जिक कोलाइटिस (Allergic colitis): यह कोलाइटिस छोटे बच्चों में ही देखी जाती है. इसमें बच्चे का इम्यून सिस्टम गाय के दूध में पाया जाने वाले एक खास प्रोटीन के प्रति ओवरऐक्टिव होता है, जिससे बच्चों के कोलन में सूजन की समस्या हो जाती है.


कोलाइटिस का इलाज 
कोलाइटिस अगर एक बार हो जाए तो इसका पूरी तरह ठीक होना मुश्किल होता है. लेकिन इसे इतना कंट्रोल किया जा सकता है कि व्यक्ति एक सामान्य जीवन जी पाता है. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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