Dead Butt Syndrome : क्या आप जानते हैं कि ज्यादा देर तक एक ही जगह बैठे रहने से आपका हिप्स काम करना ही भूल सकता है. ये कंडीशन भले ही काफी हैरान होने वाला है लेकिन मेडिकल टर्म में इसे डेड बट सिंड्रोम कहते हैं. वर्क फ्रॉम होम या ऑफिस या घर में ही लंबे-लंबे समय तक एक ही जगह लगातार 45 मिनट से ज्यादा देर तक एक ही पोजिशन में बैठना बेहद खतरनाक हो सकता है. इससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. इन्हीं में से एक डेड बट सिंड्रोम भी है. आइए जानते हैं यह कौन सी बीमारी है, इससे क्या खतरे हो सकते हैं और इससे बचने के लिए क्या करें...


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डेड बट सिंड्रोम


कोरोना काल से वर्क फ्रॉम होम का कल्चर काफी बढ़ गया है. जिसकी वजह से लोग अब घंटों एक जगह बैठकर काम करते रहते हैं..ज्यादातर लोग इस बात को भी मानते हैं कि वर्क फ्रॉम होम करने से उनका पूरा दिन घर और ऑफिस के काम में बीत जाता है और उन्हें वर्कआउट का समय तक नहीं मिलता है. अगर आपका हाल भी ऐसा ही कुछ है तो सतर्क हो जाइए, हो सकता है आप जल्द डेड बट सिंड्रोम के शिकार हो जाए.




डेड बट सिंड्रोम क्या है?




एक ही पोजीशन में लंबे समय तक बैठे रहने से डेड बट सिंड्रोम (Dead Butt Syndrome) हो सकता है. इसे ग्लूटेल एम्नेसिया (Gluteal Amnesia) भी कहा जाता है. इसमें अक्सर हिप्स सुन्न हो जाता है. कूल्हे और उसके आसपास का हिस्सा कुछ समय के लिए काम करना बंद कर देता है. इसकी वजह से गलूटेन मेडियस नाम की बीमारी भी हो सकती है. जिससे सामान्य काम करने में भी परेशानी होने लगती है. इस समस्या में ग्लूटस मेडियस यानी कूल्हे की हड्डी में सूजन आ जाती है. ऐसा ब्लड सर्कुलेशन रुकने की वजह से होता है.


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डेड बट सिंड्रोम के क्या लक्षण हैं?




1. पीठ, घुटनों और एड़ियों में तेज दर्द होना




2. हिप्स में खिंचाव आना




3. हिप्स के निचले हिस्से यानी कमर में झनझनाहट महसूस होना




4. कूल्हों के आसपास का हिस्सा सुन्न होना, जलन और दर्द




डेड बट सिंड्रोम से बचने के उपाय




1. ऑफिस में लिफ्ट नहीं, सीढ़ियों का इस्तेमाल करें.




2. 30-45 मिनट में अपनी सीट से उठते रहे, स्ट्रेचिंग करते रहे.




3. आलथी-पालथी बनाकर बैठना फायदेमंद हो सकता है.




4. रोजाना कम से कम 30 मिनट वॉक करें.




5. ऑफिस में समय मिलने पर थोड़ा चलें.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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