सीटी स्कैन तो सुना होगा लेकिन ये Dexa स्कैन क्या होता है? जानिए कब पड़ती है इसकी जरूरत
Dexa Scan: डेक्सा स्कैन एक तरह का टेस्ट होता है, जिससे हड्डियों से जुड़ी परेशानियों का पता लगाया जाता है.आइए जानते हैं विस्तार से आखिर डेक्सा स्कैन क्या है.
Dexa Scan: शरीर के अंदर जो तकलीफ होती है जिन्हें बाहर से देखा नहीं जा सकता है. ऐसी बीमारी का पता लगाने के लिए एक्सरे, सिटी स्कैन वगैरा करवाए जाते हैं. आपने या आपके घर में भी कभी ना कभी इसे जरूर करवाया होगा. लेकिन क्या आपने कभी डेक्सा स्कैन करवाया है. ये सुनने में बड़ा नया सा है और यूनिक है. लेकिन मेडिकल क्षेत्र में ये नया नहीं है. यह भी एक तरह का टेस्ट होता है, जिससे हड्डियों से जुड़ी परेशानियों का पता लगाया जाता है. आइए जानते हैं विस्तार से आखिर डेक्सा स्कैन क्या है.
क्या है डेक्सा स्कैन?
डेक्सा स्कैन हड्डियों से जुड़ा टेस्ट है. इस टेस्ट के जरिए हड्डियों से जुड़ी परेशानियों और इसकी मजबूती का पता लगाया जाता है. जी हां हड्डियों की मजबूती का पता लगाने के लिए बोन डेंसिटी की जांच की जाती है. इसे हड्डियों का घनत्व भी कहते हैं. बोन डेंसिटी की जांच के लिए डेक्सा स्कैन किया जाता है. इससे आपको पता चल जाता है कि आपको ओस्टियोपोरोसिस, गठिया या और भी कई सारी बीमारी है. ये कुछ अलग नहीं है. ये टेस्ट एक्सरे की तरह ही होता है. इसे करने के लिए एक खास तरह की मशीन होती है. जिसकी सहायता से हड्डियों के अंदर एक्स-रे बीम जाती है और हड्डियों की मोटाई और घनत्व का पता लगाया जाता है. इस टेस्ट से हड्डियों के फ्रैक्चर होने की संभावना कभी पता लगाया जा सकता है.आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने भी खिलाड़ियों का डेक्सा स्कैन कराने का फैसला लिया है.जिस्से हड्डियों के फ्रैक्चर होने की संभावना का आसानी से पता चल सकेगा.अगर डेक्सा स्कैन में कोई समस्या आती है तो खिलाड़ियों का सिलेक्शन नहीं किया जाएगा.
कैसे होता है ये स्कैन
डेक्सा स्कैन भी बाकी अन्य एक्स-रे स्कैन की तरह ही होता है. इसे टेस्ट में मरीज को स्कैन किए जाने वाले अंग पर कपड़े रखने की इजाजत नहीं होती. स्कैनिंग के दौरान किसी भी तरह का मेटल पहनने की सलाह नहीं दी जाती है.बता दें कि डैक्सा एक सेफ, दर्द रहित और जल्दी से होने वाला टेस्ट है. इसका मेन मकसद हड्डियों की मजबूती को मापना है. इस टेस्ट में दो प्रकार की बीम बनती है, जिसमें एक बीम की उर्जा काफी हाई होती है, वहीं दूसरी बीम की उर्जा लो होती है. दोनों बीम हड्डियों के अंदर से गुजरकर एक्सरे करते हैं. जिससे पता चलता है कि हड्डियों की मोटाई कितनी है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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