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महिला IRS ऑफिसर ने कराया जेंडर चेंज, जानें ये कैसे होता है और इसके क्या खतरे हैं

यूं ही कोई जेंडर चेंज नहीं करवा सकता है. जेंडर चेंज प्रोसेस को जेंडर रीअसाइनमेंट सर्जरी कहा जाता है. जेंडर चेंज सिर्फ उन्हीं लोगों का हो सकता है जो जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर के तहत आते हैं.

Gender Change Process: हाल ही में आई जेंडर चेंज (gender change)की एक खबर ने लोगों में इसे लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है. खबर है कि हैदराबाद की एक IRS अधिकारी अनुकाथिर सूर्या जेंडर चेंज करवाकर पुरुष बन गई है. इस महिला ने जेंडर चेंज कराने को लेकर केंद्र सरकार से अनुमति मांगी थी और अनुमति मिलने के बाद इसे जेंडर चेंज कराने की प्रोसेस करवाई और मिस से मिस्टर बन गईं. इसके साथ ही महिला से पुरुष बने इस अधिकारी ने सरकारी दस्तावेजों पर अपना नाम तक बदल लिया है. चलिए आज जानते हैं कि जेंडर चेंज कैसे होता है, कौन करवा सकता है और इसके खतरे क्या हो सकते हैं.

जेंडर चेंज कौन करवा सकता है? 
हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि यूं ही कोई जेंडर चेंज नहीं करवा सकता है. जेंडर चेंज प्रोसेस को जेंडर रीअसाइनमेंट सर्जरी कहा जाता है. जेंडर चेंज यानी लिंग परिवर्तन केवल उन्हीं लोगों का हो सकता है जो जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर के तहत आते हैं. यानी जिन लोगों को जेंडर डाइसोफोरिया होता है,वही लोग इस प्रोसेस को करवा सकते हैं.

जेंडर डिस्फोरिया में एक महिला पुरुष की तरह जीवन जीना चाहती है और पुरुष महिला की तरह जिंदगी गुजारना चाहता है. ऐसे लोग अपने आपको अपोजिट सेक्स में ज्यादा सहज महसूस करते हैं. जेंडर डिस्फोरिया के लक्षण किसी व्यक्ति में 10 से 11 साल की उम्र में दिखने शुरू हो जाते हैं.

अगर कोई लड़का है तो वो लड़कियों की तरह कपड़े पहनना पसंद करता है, लड़कियों की तरह बात करना, लड़कियों की तरह बर्ताव करना शुरू कर देता है. कुछ ऐसा ही लड़की के साथ होता है और वो लड़का बनकर उनकी तरह रहना पसंद करती है. 18 साल के बाद उक्त व्यक्ति की साइकोलॉजिकल असेसमेंट होता है और अगर उसे जेंडर डाइसोफोरिया है तो उसे जेंडर चेंज करवाने की मेडिकल प्रोसेस करवाने की अनुमति दी जाती है.

क्या है जेंडर चेंज करवाने की प्रोसेस?
जेंडर चेंज करवाने की प्रोसेस काफी लंबी और खर्चीली मानी जाती है. साइकोलॉजिकल असेसमेंट के बाद मरीज की हार्मोन थेरेपी की जाती है. उसके शरीर में हार्मोन बदलने की दवाएं इंजेक्शन के जरिए डाली जाती हैं. इसके बाद शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं और इसके बाद ही सर्जरी हो सकती है.
महिला को अगर पुरुष बनना है तो 33 तरह की मेडिकल प्रोसेस हैं और पुरुष को महिला बनना है तो उसे 18 तरह की मेडिकल प्रोसेस से गुजरना पड़ता है.

शरीर में हार्मोनल बदलाव के बाद सर्जरी के जरिए महिला या पुरुष को प्राइवेट पार्ट की शेप को बदला जाता है. प्राइवेट पार्ट के साथ साथ मरीज के फेस, बाल, कान के शेप और यहां तक कि नाखून के शेप भी बदल दिए जाते हैं. अगर पुरुष महिला बनने के लिए प्रोसेस करवा रहा है तो उसके शरीर के ही मांस की मदद से उसके ब्रेस्ट बना दिए जाते हैं. ब्रेस्ट बनाने की सर्जरी करीब चार से पांच घंटे का समय लेती है. आमतौर पर लोग पुरुष से महिला बनने के लिए सारे प्रोसीजर फॉलो ना करके कुछ जरूरी प्रोसेस करते हैं.

अगर 18 प्रोसेस को फॉलो किया जाए तो इस प्रोसेस में तीन साल तक का समय लग जाता है. अगर महिला पुरुष बनना चाहती है तो उसके प्राइवेट पार्ट को बनाने, शेप देने, ब्रेस्ट हटाने और बाकी अंगों को शेप देने का काम काफी जटिल होता है. इस प्रोसेस में काफी समय लगता है और ये काफी खर्चीली भी होती है.

जेंडर चेंज करवाने के रिस्क 
दूसरी प्रोसेस की तरह इस प्रोसेस के भी अपने रिस्क हैं. अगर जेंडर चेंज करवाने की सर्जरी हो गई है तो महिला से पुरुष बना व्यक्ति चाह कर भी फिर से महिला नहीं बन सकता है और वो बच्चे को जन्म नहीं दे सकता है. जेंडर चेंज करने की सर्जरी के बाद कई बार संक्रमण के रिस्क पैदा हो जाते हैं. इसके साथ साथ हार्मोनल बदलाव पूरी तरह ना होने के कारण भी जेंडर चेंज करवाने वाले लोगों में मानसिक विकार की स्थिति देखी गई है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें: Myth vs Facts: क्या सिर्फ स्मोकिंग से होता है लंग कैंसर? कम उम्र में नहीं होती बीमारी, जानें क्या है हकीकत

 

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