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उम्र से पहले आंखों की रोशनी कमजोर कर सकती है ये बीमारी, जानिए ग्लूकोमा के लक्षण
ग्लूकोमा नाम की आंख से जुड़ी बीमारी उम्र से पहले आपकी आंखों की रोशनी कमजोर कर सकती है और अगर ज्यादा लापरवाही बरती जाए तो आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जान सकती है.
Glucoma Symptoms: आंखों (Eye care)को अनमोल इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनके बिना जीवन काफी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में आंखों से जुड़ी बीमारी होने पर सबसे पहले जांच करवानी चाहिए. लेकिन अक्सर लोग आंखों की सेहत को लेकर लापरवाही बरतते हैं जिससे समय से पहले ही आंखें या तो कमजोर हो जाती हैं, या फिर उनकी रोशनी छिन जाती है. आंखों से जुड़ी ऐसी ही एक बीमारी है जिसमें लापरवाही के चलते मरीज हमेशा के लिए आंखों की रोशनी खो बैठता है. इस बीमारी को ग्लूकोमा (glaucoma)कहते हैं. स्मोकिंग, लंबे समय तक स्क्रीन को देखने रहने और लापरवाही के चलते आजकल लोग बड़ी संख्या में ग्लूकोमा का शिकार हो रहे हैं. चलिए जानते हैं कि ग्लूकोमा की बीमारी कैसे आंखों की रोशनी छीन सकती है और इसके लक्षण क्या हैं.
क्या है ग्लूकोमा
ग्लूकोमा दरअसल आंख से जुड़ी ऐसी समस्या है जिसमें आंख की ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचने पर आंख की रोशनी कम होने लगती है. आंख से जुड़ी ये ऑप्टिक नर्व हमारे ब्रेन को किसी सीन से जुड़ी सारी इन्फोरमेशन भेजती है, और इसी के जरिए हम किसी चीज को पहचानने का काम कर पाते हैं. ऐसे में अगर कुछ वजहों से ऑप्टिक नर्व पर दबाव पड़े और वो कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाए तो चीजें पहचानने की क्षमता कमजोर हो जाती है औऱ आंखों की रोशनी कम होने लगती है. हालांकि अब तक ग्लूकोमा के बारे में कहा जाता है कि ये ज्यादा उम्र होने यानी साठ साल के बाद के लोगों को ज्यादा होती है. लेकिन बीते कुछ सालों में ग्लूकोमा हर उम्र के लोगों और यहां तक कि बच्चों को भी अपना शिकार बनाने लगा है. जिन लोगों को डायबिटीज है, ऐसे लोगों को ग्लूकोमा का ज्यादा खतरा होता है.
ग्लूकोमा के लक्षण
ग्लूकोमा को रोकने के लिए जरूरी है कि इसके लक्षणों की सही पहचान हो सके. ग्लूकोमा के लक्षणों में आंखों में लंबे समय तक दबाव और दर्द बने रहना शामिल है. इसके अलावा मरीज की आंखों में दर्द के साथ साथ सिर में भी दर्द बना रहता है. व्यक्ति को रोशनी के चारों तक इंद्रधनुष जैसी चीज नजर आती है. नजर कमजोर होने लगती है. इसके साथ साथ व्यक्ति की आंखों में हर वक्त लाली दिखने लगती है. अगर ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो छह माह के साथ साथ बीच मे भी आई स्पेशलिस्ट से चैकअप कराना चाहिए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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तहसीन मुनव्वरवरिष्ठ पत्रकार
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