दोपहर की चाय को हाई टी कहा जाता है. पार्लर और बगीचे में बैठकर आराम से चाय की चुस्की लेने वाले को हाई टी परोसा जाता है. आजकल वर्किंग लोग शाम के स्नैकिंग को चाय कहते हैं. आजकल लोगों के पास शाम के नाश्ते करने का वक्त नहीं होता है इसलिए वह चाय किसी भी वक्त पी लेते हैं. यह परंपरा पूरी तरह से ब्रिटिश और अनोखी परंपरा है. 


कुछ ऐसा था हाई टी का इतिहास


दोपहर की चाय की व्यवस्था 19वीं शताब्दी में अमीरों के लिए की गई थी. जो ब्रिटेन की फैक्ट्री में काम करते थे उनके लिए दोपहर के चाय की व्यवस्था की गई है. चाय को खाने के साथ परोसा जाता था. जो सिर्फ चाय और केक से कहीं ज्यादा था. पूरे दिन काम करने के बाद चाय और केक मजदूर के लिए पोषण का काम करते थे. एक प्याली अच्छी सी चाय, कमजोरी को दूर करते थे. 


दोपहर की चाय क्या है? 


दोपहर की चाय बिट्रिश खाने की परंपरा है. दोपहर की चाय, सैंडविच, स्कोन और केक के साथ बैठकर खाया जाता है. दोपहर की चाय शाम के 4 बजे के आसपास परोसी जाती है. 19वीं शताब्दी में अन्ना, डचेस ऑफ बेडफोर्ड के कारण दोपहर की चाय में आई. लेकिन कभी भी रात में खाने की जगह नहीं लेनी चाहिए. दोपहर की चाय एक दावत की तरह हो गई है. दोपहर की चाय पाने के लिए एक प्रसिद्ध जगह लंदन में रिट्ज है.


लो टी


दोपहर के खाने के बाद सुस्ती होने लगती है. इस दौरान कॉफी टेबल पर चाय के साथ सैंडविच और केक के साथ परोसा जाता है. लो टी के सुबह के नाश्ते और रात के 8 बजे के खाने के बीच लंबे अंतराल के बीच लिया जाता है. दोपहर में हल्का खाना शुरू करना चाहिए.


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