नई दिल्ली: आपकी अनुमति के बिना किसी भी चीज को उठा कर अपने पास रखा लेना और उसे कभी वापस नहीं करना चोरी कहलाती है. जब हम 'चोरी करना' जैसी एक्टिविटी के बारे में सुनते हैं, तो हम अक्सर सोचते हैं कि कहीं चोरी करने के लिए किसी घर या दुकान को तोड़ने की कोशिश की गई होगी. चोरी को हम पेशेवर अपराध की तरह मानते हैं, या चोरी एक ऐसी एक्टिविटी होगी जिसे मजबूरी में आ कर अंजाम दिया गया होगा.


मगर क्या कोई समृद्ध होने के बाद भी चोरी कर सकता है? क्या चोरी एक नशे की लत की तरह भी हो सकती हैं जिसे अंजाम देना फन और एडवेंचर भरा हो? दरअसल इन सभी सावालों का जवाब है हां! इस तरह की चोरी को तकनीकी तौर पर क्लेप्टोमैनिया कहते हैं. आगे हम समझेंगे कि क्या है क्लेप्टोमैनिया और इस तरह की चोरी को अंजाम देने के पीछे का कारण क्या है?


यह चोरी का एक सामान्य कारण है जो कई लोगों में देखा जाता है. उदाहरण के तौर अक्सर मॉल के अंदर देखा गया है कि लोग सुपरमार्केट्स या मॉल में बेचने के लिए रखी गई चीज़ों के लिए बिना किसी तरह की रकम चुकाए उस चीज को अपने पास रख लेते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो इस तरह से एक चोरी को अंजाम देते हैं. आम लोगों के अलावा ऐसी कई सेलिब्रिटीज़ उदाहरण हैं जिन्होंने खुद कबूला है कि उन्हें भी इस तरह की चोरी करने की आदत थी.


क्लेप्टोमैनिया के शिकार लोगों को चोरी के दौरान तनाव और उत्तेजना के साथ किसी चीज को चुराने की जबरदस्त इच्छा होती है. वे लोग चोरी के दौरान खुशी और राहत महसूस करते हैं. चोरी के काम के खत्म होने के बाद कई क्लेप्टोमैनिया के शिकार लोग खुद के तरफ से किए जाने वाले ऐसे काम पर पछतावा भी करते नजर आते हैं.


क्लेप्टोमैनिया से ग्रसित लोग आम तौर पर अकेले ही किसी चोरी को अंजाम देते हैं, जबकि अधिकांश आपराधिक चोरी के लिए शातिराना तरीके से पूरी योजना बनाई जाती है और इसमें कई लोगों की सहभागिता रहती है. मगर वे लोग जो क्लेप्टोमैनिया से ग्रसित हैं वह केवल जगह या मौके के संयोग से इस चोरी को अंजाम देते हैं. यानी उन्हें जब भी मौका मिले और उन्हें मुनासिब लगे कि अब चोरी करने का सही वक्त है, तब उन लोगों की तरफ से चोरी को अंजाम दे दिया जाता है.