Lipoedema: लिपोएडेमा एक ऐसी बीमारी है, जो आपकी जांघों, पैरों और कूल्हों में एक्सट्रा फैट के जम जाने के कारण होती है. ये बहुत खतरनाक बीमारी है, जिसको अक्सर लोग समझ ही नहीं पाते हैं. लिपोएडेमा से पीड़ित व्यक्ति का वजन काफी ज्यादा होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो ये बीमारी ज्यादातर मोटे लोगों में देखी जाती है. अक्सर लोग अपने बढ़े वजन को मोटापा कहकर इग्नोर करने का प्रयास करते हैं, लेकिन वो इस बात से अनजान होते हैं कि स्पेसिफिक जगहों पर ज्यादा फैट का जमना लिपोएडेमा का कारण भी हो सकता है. ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जिनमें शुरुआत में मरीजों ने इस बीमारी को महज मोटापा समझा और मोटापा समझकर बीमारी की गंभीरता को नजरअंदाज किया. 


लिपोएडेमा बीमारी शरीर में चर्बी जमने की वजह से होती है. इसमें स्किन में सिलवटें बन जाती हैं, जो एक वक्त के बाद बेहद दर्दनाक साबित हो सकती हैं. वेबएमडी के मुताबिक, लिपोएडेमा ने दुनियाभर में 11 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं को प्रभावित किया है. ये एक बहुत ही दर्दनाक और लाइलाज बीमारी है, जो खासतौर से हार्मोनल असंतुलन की वजह से होती है. यह बीमारी केवल शरीर के नीचले हिस्से को प्रभावित करती है. हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि ये बीमारी आमतौर पर महिलाओं को प्रभावित करती है और चार चरणों में धीरे-धीरे पैदा होती है.


बिगड़ती चली जाती है स्थिति


डॉक्टरों का मानना है कि स्थिति समय के साथ बिगड़ती चली जाती है, क्योंकि फैट का जमाव होता रहता है. फैट सेल्स लिम्फेटिक सिस्टम में सेल्स को ब्लॉक कर देती हैं. लिम्फेटिक सिस्टम को लिम्फ फ्लूड को बाहर निकालने से रोकता है, जिससे फ्लूड का निर्माण हो सकता है. दुनिया भर के कई डॉक्टरों का कहना है कि लिपोएडेमा वाले 60 पर्सेंट से ज्यादा लोगों के परिवार के सदस्यों में भी ये बीमारी है, इसलिए यह माना जा सकता है कि इस बीमारी का आनुवंशिक जुड़ाव भी हो सकता है.


नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, डॉक्टर इस बीमारी को 4 अलग-अलग टाइप में कैटेगराइज करते हैं.


टाइप 1- फैट का नाभि और कूल्हों के बीच जमना. ये अक्सर पेल्विस और हिप को ढकता है.


टाइप 2- फैट का पेल्विस के आसपास और घुटनों के नीचे जमना.


टाइप 3- फैट पेल्विस से शुरू होता है और टखनों तक जाता है. इस अवस्था वाले व्यक्ति के टखने में फैट का जमाव हो सकता है.


टाइप 4- फैट का कंधों से नीचे कलाइयों तक फैलना.


लिपोएडेमा के लक्षण


1. निचले हिस्से का जरूरत से ज्यादा भारी होना और टांगों को बहुत ज्यादा मोटा होना.


2. कोमल और खरोंच वाली स्किन


3. शरीर के निचले हिस्से का लगातार बढ़ते चला जाना


4. शरीर के निचले हिस्से में लगातार दर्द रहना


5. ठीक से चल नहीं पाना


6. संक्रमण का होना


7. घाव भरने में देरी लगना


8. पैरों की त्वचा सख्त होना


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