Mast Cells Activation Syndrome: दुनिया भर में एक से बढ़कर एक अजीबोगरीब बीमारी है जिसके बारे में सुनकर ही लोग चौक उठते हैं, ऐसे ही एक बीमारी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. जिसमें सिर्फ आफ 9 तरह के फूड ही खा सकते हैं. यूनाइटेड स्टेट में रहने वाली एक महिला को ये ही बीमारी है जिसमें वो सिर्फ 9 तरह के ही फूड खा सकती हैं, क्योंकि वो एक इम्यूनोलॉजिकल कंडीशन से सफर कर रही हैं,जिसकी वजह से उसे सैकड़ों फूड से एलर्जी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक जेना जेस्टेटनर को कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ है जिसे खाने के बाद रिएक्शन होता है. उन्हें बहुत तेज ऐठन, दर्द, सूजन, मतली और बार-बार खराब हेल्थ कंडीशन का अनुभव होता है. वह बचपन से ही ऐसे फूड को स्ट्रिक्टली से दूर कर रही हैं जिससे उन्हें दिक्कत हो रही है
मास्ट सेल एक्टिवेशन संड्रोम से पीड़ित हैं जेना
जेना अब केवल टर्की, माही माही, खीरा, हरी बीन्स, तोरी, जैतून का तेल, नमक, लाइम और ग्लूकोज सप्लीमेंट खाने में सक्षम है. जेना ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट को कैप्शन दिया, "मैं केवल नौ खाद्य पदार्थ खा सकती हूं,रिपोर्ट बताती है कि जेना ने दुनिया भर में यात्रा करने के बाद विशेषज्ञों से मुलाकात की और उसके बाद मार्च 2021 में उसे यह पता चला कि उसे मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम है. ब्लड और यूरिन के टेस्ट के बाद इस बात की पुष्टि हुई.
क्या मास्ट सेल एक्टिवेशन संड्रोम?
मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम एक क्रॉनिक स्थिति है. डॉक्टर बताते हैं कि मास्ट सेल्स एक्टिवेशन सिंड्रोम एक रेयर इम्यूनो डिसऑर्डर है. इस बीमारी की वजह से एलर्जी शरीर में हो जाती है, इससे बॉडी में मौजूद मास्ट सेल्स कई ऐसे केमिकल रिलीज करने लगती है जिनसे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में एलर्जी हो जाती है. एलर्जी हार्ट, पेट और ब्रेन को असर करती है. पेट पर सबसे ज्यादा असर होता है. जिससे खानपान का खास खयाल रखना पड़ता . इस बीमारी में के हिसाब से ही डाइट लेनी पड़ती है, कुछ भी अलग खाने से एलर्जी बढ़ जाती है जिससे मरीज की स्थिति बिगड़ने का खतरा बना रहता है. मास्ट सेल एक्टिवेशन सिंड्रोम ब्रेन पर भी असर कर सकती है. इस वजह से इंसान के इमोशंस में भी बदलाव होने लगता है अगर सही डाइट नाली जाए तो बीमारी के न्यूरोलॉजिकल लक्षण गंभीर हो सकते हैं, इस बीमारी के लक्षण बढ़ने पर मरीज को खुजली, पेट में दर्द, सांस लेने में कठिनाई की परेशानी होने लगती है.यs एक ऐसी बीमारी है जो दुनिया भर में केवल 1 फ़ीसदी आबादी को ही होती है.
कैसे होता है इलाज
निदान के लिए, उचित इतिहास और सीरम ट्रिप्टेस लेवल को जानना महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, किट d816v टेस्ट का भी परीक्षण किया जाना आवश्यक है. कुछ मामलों में बोन मैरो बायोप्सी भी जरूरी होती है. आपको ये भी बता दें कि इसका कोई इलाज नहीं है. हालांकि उपचार के कुछ सिपटोमैटिक रूप एंटी-हिस्टामाइन, स्टेरॉयड, मोंटेलुकास्ट और ओमालिज़ुमाब जैसी दवाएं है इसके अलावा इसे"ट्रिगर करने वाले खाद्य पदार्थों से बचने से मदद मिलती है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.