Arun Bali Death: पीके और 3 idiots जैसी कई फिल्मों में अभिनय का लोहा मनवाने वाले Bollywood Actor Arun Bali की न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर बीमारी से मौत हो गई. वह एक ऐसी बीमारी की चपेट में थे जोकि रेयरली होती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मायस्थेनिया ग्रेविस डिसीज की चपेट में थे. यह एक न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर है. जो व्यक्ति की डेली लाइफ को पूरी तरह से डिस्टर्ब कर देता है व्यक्ति का सरवाइव करना कठिन हो जाता है. यह बीमारी क्या है? कैसे व्यक्ति को अपनी चपेट में लेती है? क्या इसके लक्षण है यदि कोई व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हो जाए तो इसका प्रॉपर इलाज है भी या नहीं या केवल लक्षणों को साध कर ही जीवन जिया जा सकता है जानते हैं इसके बारे में
क्या है Myasthenia Gravis
मायस्थोनिया ग्रेविस एक न्यूरोमस्कुलर डिसऑर्डर है। इसमें हमारे शरीर की मांसपेशियों में इस तरह की कमजोरी आ जाती है कि एक कंडीशन ऐसी आती है कि व्यक्ति हिल डुल भी नहीं पाता. न ही अपने हाथ- पैरों को हिला पाता है. डॉक्टरों के मुताबिक ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारी तंत्रिका कोशिकाओं और मसल्स के बीच कनेक्शन टूट जाता है। तंत्रिका कोशिका दिमाग को मैसेज नहीं भेज पाते और जब मैसेज दिमाग को नहीं मिलता है तो हाथ या पैर में यह किसी भी अंग में कोई एक्टिविटी नहीं होती. इससे हमारी मसल्स में होने वाले संकुचन में अवरोध पैदा होता है और वह कमजोर होने लगती हैं.
बीमारी में अधिक रेस्ट करिए
आमतौर पर व्यक्ति को बीमार होने पर चलने फिरने की सलाह दी जाती है. लेकिन इस बीमारी में बीमार को रेस्ट अधिक करने के सुझाव दिए जाते हैं.
मायस्थेनिया ग्रेविस होने पर रोगी को फिजिकल एक्टिविटी बंद कर देनी चाहिए. लगातार एक्टिव रहने से स्थिति और खराब हो सकती है. जबकि आराम करने से रोगी की हालत में सुधार आता रहता है. ऐसे मरीज के पास एक अटेंडेंट साथ होना चाहिए यदि उसे कुछ भी खाने पीने के लिए या अन्य कार्य के लिए सामान चाहिए तो तुरंत ही उपलब्ध कराना चाहिए. इससे फिजिकल एक्टिविटी कम होंगे.
ये सामने आते हैं symptoms
मायस्थेनिया ग्रेविस में बात करने में दिक्कत, चीजों को उठाने में परेशानी, सीढ़ियों पर चढ़ने में परेशानी, सांस लेने में परेशानी, चबाने या निगलने में दिक्कत, थकान तथा आवाज में भारीपन जैसे symptoms दिखते हैं.
इलाज क्या है?
डॉक्टर कहना है इस बीमारी का पूरी तरह से इलाज तो नहीं है. लेकिन समय से कदम उठाने पर डिसीज पर काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. इसमें बीमारी का पता लगने पर तुरंत ट्रीटमेंट रहना चाहिए. इसमें तनाव बिल्कुल नहीं लेना चाहिए. प्रॉपर नींद और संतुलित डाइट मरीज को लेनी चाहिए.