केरल में अभी कोरोना संक्रमण का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक बार फिर निपाह वायरस ने दस्तक दे दी. रविवार को 12 वर्षीय बच्चे की मौत के बाद निपाह वायरस का खौफ बरकरार है. संक्रमित बच्चे के संपर्क में आए 11 लोगों में बीमारी के लक्षण देखे गए हैं. सरकार ने हर किसी को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है. हालांकि, ये दोनों वायरस स्वभाव में समान लगते हैं, लेकिन कई तरीकों से ये एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. इसलिए जानना जरूरी हो जाता है कि निपाह वायरस क्या है, कैसे ये फैल सकता है और कितना ये खतरनाक है. 


क्या है निपाह वायरस?


निपाह वायरस नया नहीं है, पहली बार 90 के दशक में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई में प्रकोप के दौरान इसका पता चला था. भारत के सिलिगुड़ी में पहली बार 2001 में उस वक्त खुलासा हुआ जब उसके कारण 45 लोगों की मौत हो गई. 2018 में केरल में निपाह वायरसे के मामले दर्ज किए गए. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निपाह को एक जूनोटिक वायरस बताया है. ये जानवरों से इंसानों में दूषित भोजन या लोगों के बीच सीधे संपर्क में आने से फ्रूट बैट्स के कारण फैलता है. निपाह वायरस से संक्रमित शख्स को गंभीर समस्याएं जैसे सांस की बीमारी और एंसेफ्लाइटिस हो सकते हैं. निपाह वायरस हवा से फैलनेवाला संक्रमण नहीं है बल्कि इसका ट्रांसमिशन चमगादड़ों और सूअरों से होता है. 


निपाह वायरस के आम लक्षण


निपाह वायरस से संक्रमित शख्स में कोविड-19 संक्रमण के समान लक्षण जाहिर हो सकते हैं. बीमारी में बुखार, सिर दर्द, मांसपेशी में दर्द, थकान, उल्टी और गले की खराश, भ्रम, चक्कर समेत एंसेफ्लाइटिस यानी दिमाग की सूजन जैसे आम लक्षण हैं. संक्रमित शख्स बेहोश भी हो सकता है और आखिरकार मौत तक हो सकती है.


इलाज और एहतियात


विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, "वर्तमान में निपाह वायरस संक्रमण के लिए खास कोई दवा या वैक्सीन नहीं है." लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर से सलाह की जरूरत है. ब्लड और यूरिन टेस्ट, आरटीपीसीआर की मदद से उसकी पुष्टि की जा सकती है. ठीक होने के बाद एंटीबॉडीज के लिए जांच की जाती है. डॉक्टर एंसेफ्लाइटिस और दूसरे लक्षणों का इलाज करने की दवा के इस्तेमाल का सुझाव देते हैं. खुद से इलाज करना जोखिम को खराब और स्थिति को बिगाड़ सकता है. सावधानी के तौर पर जमीन पर गिरे हुए फलों का इस्तेमाल मना किया जाता है और संक्रमित शख्स और जानवरों के संपर्क में होने से बचने की ताकीद की जाती है. आवारा जानवरों के पास आने या छूने से परहेज किया जाना चाहिए.


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