Pre Mature Baby: मां बनने के लिए एक महिला को 9 महीने तक अपने गर्भ में बच्चा रखना होता है. इस दौरान उसे कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कई बार तो कुछ स्वास्थ्य कारणों की वजह से बच्चे का जल्दी जन्म भी हो जाता है, जिसे प्रीमेच्योर बेबी कहा जाता है. हाल ही में आई रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में समय से पहले बच्चों के जन्म लेने की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इसे प्री बर्थ टर्म भी कहा जाता है. इसमें 37 सप्ताह से पहले बच्चे का जन्म हो जाता है. जिसके चलते उनके शारीरिक और मानसिक विकास में कई समस्याएं आ सकती हैं. आइए आपको बताते हैं कि यह प्री बर्थ टर्म है क्या और इससे क्या समस्याएं हो सकती हैं.

 

साल 2007 से बढ़े मामले

रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2007 से लेकर साल 2021 में सबसे ज्यादा प्री बर्थ टर्म यानी कि 37 सप्ताह से पहले बच्चे होने की समस्या पाई गई है. अमेरिका में 3.83 लाख से ज्यादा बच्चों ने समय से पहले जन्म लिया है. यह स्थिति खतरनाक हो सकती है. 2021 में लगभग 10.5% बच्चे समय से पहले पैदा हुए हैं. इससे पहले 2020 में यह आंकड़ा 10.1% था. भारत के आंकड़ों पर नजर डाले तो 5 में से 1 बच्चे का जन्म समय से पहले हो रहा है.

 

क्या कहती है स्टडी

हाल ही में हुए अध्ययन के अनुसार, भारतीय विदेशी दोनों महिलाओं में जन्म से पहले बच्चों के पैदा होने की ज्यादा समस्या देखी जा रही है. समय से पहले बच्चे होने से मां की मृत्यु होने का खतरा भी 3 फीसदी से अधिक पाया गया है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह स्थिति महिलाओं और बच्चे दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है.

 

इस कारण बढ़ रहे प्री बर्थ टर्म के मामले

- कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य जटिलताओं के चलते कई गर्भवती महिलाओं को सबसे पहले बच्चे होने की शिकायत पाई गई है.

 

- यदि गर्भवती मां पहले से ही किसी चिकित्सीय स्थिति का शिकार है, तो बच्चे को जन्म देने के समय यह समस्याएं हो सकती हैं.

 

- अत्यधिक उम्र में मां बनने से भी प्री बर्थ टर्म की समस्या हो सकती है.

 

- समय से पहले बच्चा पैदा होने से बच्चे की जान को खतरा हो सकता है. इस तरह के बच्चों में कम वजन, सांस लेने में कठिनाई, विकसित अंग और आंखों की रोशनी संबंधित शिकायत पाई जा सकती हैं.

 

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