Productivity Anxiety: तेजी से भागती और दौड़ती दुनिया में कंप्टीशन का दौर बहुत बुरी तरह हावी हो चुका है. हर जगह परफेक्शन की मांग की जाती है और कंपटीशन के इस दौर में हर व्यक्ति पर परफेक्शन का दवाब रहता है. ऐसे में प्रोडक्टिविटी एंजाइटी (Productivity anxiety)के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. प्रोडक्टिविटी एंजाइटी वो स्टेज है जब परफेक्शन की चाह में ज्यादा काम करने वाले अपने दिमाग पर प्रेशर महसूस करते हैं. ऐसे लोग परफेक्शन ना होने पर निराश हो जाते हैं और इसका उनकी मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. बिजनेस हो या नौकरी, हर जगह लोग प्रोडक्टिविटी एंजाइटी के शिकार हो रहे हैं और इसका दायरा बढ़ता जा रहा है.
क्या है प्रोडक्टिविटी एंजाइटी
एक्सपर्ट कहते हैं कि जब आप अपने जीवन में कोई चीज की कमी, कोई टास्क पूरा ना होने का दुख या अधूरे लाइफस्टाइल के चलते खुद को अधूरा और कमजोर महूसस करते हैं तो वो प्रोडक्टिविटी एंजाइटी की दशा होती है. ऐसा दबाव जिसके चलते प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है. प्रोडोस्कोर ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोविड काल के बाद प्रोडक्टिविटी एंजाइटी के शिकार लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. ऐसे लोग इस बात से डरते हैं कि अगर वो काम में परफेक्शन नहीं ला पाए तो फेल हो जाएंगे. हारने और टास्क पूरा ना करने का डर लोगों पर इतना हावी हुआ कि परफेक्शनक की दौड़ में वो वीकेंड और छुट्टियों में भी लगातार काम करते रहे.
प्रोडक्टिविटी एंजाइटी के लक्षण
प्रोडक्टिविटी एंजाइटी ना केवल मानसिक रूप से बल्कि आगे जाकर शारीरिक रूप से भी आपके कामकाज पर असर डालती है. ऐसे लोग हरदम काम को बेहतर करने के प्रेशर में खुद को ज्यादा काम के लिए धकेलते हैं और इसका असर उनकी बॉडी पर पड़ता है. ऐसे लोग हमेशा ये सोचते हैं कि उनको काम करना चाहिए. आराम करने के टाइम में अगर वो खाली होते हैं तो उनको अफसोस होता है.ऐसे लोग खुद को अनवर्दी यानी कमतर महसूस करते ग्लानि में चले जाते हैं. ऑफिस में ऐसे लोग आत्मसम्मान को ज्यादा भाव देकर लगातार काम करते हैं और ज्यादा काम करने के चलते उनसे अक्सर गलतियां होती हैं जो उनके स्वाभिमान को चोट पहुंचाती हैं. काम बिगड़ने या फेल होने के डर से ऐसे लोग काम को देर से करते हैं और कोशिश करते हैं कि लंबे समय तक उसे टाला जा सके.
कैसे कर सकते हैं बचाव
प्रोडक्टिविटी एंजाइटी से बचने के लिए सबसे पहला काम होगा कि आप खुद को सबसे बेहतर बनाने की कोशिश ना करें. परफेक्शन की दौड़ में भागने से बचें और अपनी काबिलियत के बल पर ही कोई काम हाथ में लें. हर काम को खुद करने की बजाय टीम टास्क पर भरोसा करें. हर काम को आत्मसम्मान का मुद्दा ना बनाएं. किसी भी कुलीग से कंपटीशन ना करें, इससे आपकी एंजाइटी बढ़ेगी.काम के अलावा फन पर भी फोकस करें, परिवार के साथ समय बिताएं और वीकेंड पर काम नहीं करें. खुद पर भरोसा करें और परफेक्शन की चाह में खुद को मेंटल प्रेशर में ना लाएं.
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