प्रोजेरिया एक दुर्लभ और खतरनाक बीमारी है, जिसमें बच्चों की उम्र बहुत तेजी से बढ़ने लगती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे बचपन में ही बूढ़े दिखने लगते हैं. यह बीमारी बहुत ही दुर्लभ होती है और लाखों में एक या दो बच्चों को ही प्रभावित करती है. आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं...


प्रोजेरिया क्या है?
प्रोजेरिया एक आनुवांशिक विकार है, जिसे Hutchinson-Gilford Progeria Syndrome (HGPS) भी कहा जाता है. इस बीमारी में बच्चों का शरीर बहुत तेजी से बूढ़ा होने लगता है. सामान्य बच्चे जहां अपनी उम्र के हिसाब से बढ़ते हैं, वहीं प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चों की उम्र बढ़ने की गति सामान्य से 7-8 गुना अधिक होती है. 


प्रोजेरिया के लक्षण



  • प्रोजेरिया के लक्षण बचपन में ही नजर आने लगते हैं।.जन्म के बाद पहले कुछ महीनों में बच्चे सामान्य दिखते हैं, लेकिन 1-2 साल की उम्र तक आते-आते लक्षण स्पष्ट होने लगते हैं

  • बालों का झड़ना: बच्चों के सिर के बाल, भौहें और पलकें जल्दी गिरने लगती हैं.

  • त्वचा में झुर्रियां: बच्चों की त्वचा में झुर्रियां और पतलापन नजर आने लगता है.

  • कद और वजन का रुकना: इन बच्चों का कद और वजन सामान्य बच्चों की तुलना में बढ़ना बंद हो जाता है.

  • चेहरे की विशेषताएं: चेहरा बड़ा, आंखें बड़ी, नाक पतली और नुकीली, और जबड़े छोटे होते हैं.

  • हड्डियों और जोड़ों की समस्याएं: हड्डियों में कमजोरी, जोड़ों का दर्द और चलने में कठिनाई होती है.

  • हृदय संबंधी समस्याएं: इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को हृदय से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है. 



प्रोजेरिया का कारण
प्रोजेरिया एक आनुवांशिक विकार है, जो LMNA नामक जीन में हुई गड़बड़ी के कारण होता है. यह गड़बड़ी शरीर में एक विशेष प्रोटीन का उत्पादन करती है, जो कोशिकाओं की उम्र बढ़ाने का काम करता है। हालांकि, यह बीमारी विरासत में नहीं मिलती, बल्कि यह आनुवांशिक बदलाव के कारण होती है. 


प्रोजेरिया का इलाज
प्रोजेरिया का फिलहाल कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन कुछ उपचार इस बीमारी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं. जैसे, हड्डियों की समस्याओं के लिए फिजियोथेरेपी, हृदय संबंधी समस्याओं के लिए दवाइयां, और बच्चों की नियमित चिकित्सा देखभाल. 


जीने की संभावित उम्र
प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चों की जीवन प्रत्याशा कम होती है. आमतौर पर ये बच्चे 13 से 20 साल के बीच जीते हैं. इन बच्चों की मौत का मुख्य कारण हृदय रोग या स्ट्रोक होता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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