PTSD: भारतीय मूल के जाने-माने लेखक सलमान रुश्दी पर पिछले साल न्यूयॉर्क में एक इवेंट के दौरान जानलेवा हमला हुआ, इस हमले के दौरान वह बुरी तरह से घायल हुए थे, जिसके बाद उनकी आंख की रोशनी चली गई. घटना ने उन्हें इस तरह से इमोशनली मेंटली और फिजिकली डैमेज किया की वो पीटीएसडी के शिकार हो गए, उन्होंने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि उन्हें उस वक्त पता चला कि पीटीएसडी या post-traumatic स्ट्रेस डिसऑर्डर जैसी कोई चीज होती है, वह बताते हैं कि उनका लिखना बेहद मुश्किल हो गया था. वह लिखने बैठते थे तो अगले ही पल उसे मिटा देते थे. उन्हें उंगलियों के सिरे पर कुछ भी महसूस नहीं होता, इसके चलते वह अच्छे से टाइप भी नहीं कर पाते, उन्हें डरावने सपने आते हैं जो उन्हें सोने नहीं देते हैं हालांकि अब वह धीरे धीरे ठीक हो रहे हैं चीजें बेहतर हो रही है...आइए जानते हैं कि आखिर क्या होता है पीटीएसडी. 


क्या है पीटीएसडी ?


पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर यानी कि पीटीएसडी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्थिति है. इसका सबसे बड़ा कारण जीवन में घटी कोई बड़ी और भयानक घटना है, जिसकी वजह से आपको या आपके करीबी को खतरा होता है. जब लाख कोशिश के बाद भी व्यक्ति उस घटना को भूल नहीं पाता है और वह बार-बार फ्लैशबैक में चला जाता है तो यह मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. चीजें याद आती है तो दैनिक कार्यों पर भी असर डालने लगती हैं. इसका उम्र से कोई भी लेना देना नहीं है. यह किसी भी उम्र और लिंग के व्यक्ति के साथ हो सकती है. बहुत ज्यादा दुखद या दिल दहला देने वाली किसी ऐसी घटना के बाद मस्तिष्क में रासायनिक और न्यूरोलॉजिक परिवर्तन के कारण पीटीएसडी की समस्या पैदा होती है.


पीटीएसडी के कारण


किसी प्राकृतिक आपदा, हमले, युद्ध, गंभीर दुर्घटना का दिमाग पर गहरा असर होने की वजह से पीटीएसडी हो सकता है. हमारे दिमाग का वह हिस्सा जो यादों और भावनाओं के अनुभव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है उसे हिप्पोकेंपस कहा जाता है. पीटीएसडी से ग्रस्त व्यक्तियों का हिप्पोकेंपस सामान्य से छोटा होता है. यह साल 2008 में किए गए एक अध्ययन में सामने आया है, हालांकि यह अभी साफ नहीं है कि हिप्पोकेंपस का आकार पहले से छोटा होता है या फिर दुर्घटना के बाद ऐसा होता है.


पीटीएसडी के लक्षण



  • व्यवहार में चिड़चिड़ापन गुस्सा और आक्रामकता होना.

  • सोने और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी.

  • बुरे सपने आना.

  • दुर्घटना वाले स्थानीय उन लोगों से मिलने से बचना जिसको देखकर दुर्घटना की याद आए.

  • परिवार और दोस्तों से अलग महसूस करना.

  • करीबी लोगों से रिश्ता बनाए रखने में परेशानी. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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