World Malaria Day 2023: साइंटिस्टों ने 'मलेरिया' का नया टीका बनाया है. जिसे 'वर्ल्ड चेंजर' माना जा रहा है. इसे R21/Matrix-M कहा जाता है. यह मलेरिया वैक्सीन दुनिया का पहला ऐसा वैक्सीन है जिसने 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' के 75 प्रतिशत प्रभावकारिता के लक्ष्य को पार किया है. एक तरफ WHO यानी 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' इस वैक्सीन को मंजूरी देने पर विचार कर रहा है. वहीं घाना विश्व का पहला ऐसा देश बना है जिसने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है. लंदन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने इस वैक्सीन को बनाया गया है. घाना के फूड एंड ड्रग्स अथॉर्टी ने इस वैक्सीन को 5-36 महीने की बच्चों के लिए मंजरी भी दे दी है. यही उम्र वाले बच्चों को मलेरिया जैसी बीमारी का जोखिम ज्यादा रहता है.
मलेरिया के इस नए वैक्सीन को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने क्या कहा?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक उम्मीद है कि यह पहला ऐसा महत्वपूर्ण कदम होगा. जब घाना और अफ्रीकी बच्चें इस टीका के जरिए मलेरिया से लड़ने में कामयाब होंगे. R21/Matrix-M वैक्सीन प्रोग्राम के चीफ इंवेस्टिगेटर और विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट के निदेशक, प्रोफेसर एड्रियन हिल ने कहा,'यह ऑक्सफोर्ड में मलेरिया वैक्सीन अनुसंधान के 30 सालों की मेहनत का नतीजा है, जिसमें एक उच्च प्रभावकारिता वैक्सीन का डिजाइन और प्रावधान है.
यह वैक्सीन उन देशों को पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति की जा सकती है जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है. रिसर्चर ने 'एसएसआरएन/प्रीप्रिंट्स विथ द लांसेट' नाम की मैगजीन में वैक्सीन के फेज IIबी परीक्षण से अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए, जिसने 12 महीनों के फॉलो-अप में 77 प्रतिशत की उच्च-स्तरीय प्रभावकारिता का प्रदर्शन किया.
रिसर्चर ने इस वैक्सीन के डोज को लेकर क्या कहा?
रिसर्चर ने उच्च-खुराक सहायक समूह में 77 प्रतिशत और कम-खुराक सहायक समूह में 71 प्रतिशत की टीका प्रभावकारिता की रिपोर्ट की है, 12 महीनों के अनुवर्ती टीके से संबंधित कोई गंभीर प्रतिकूल घटना दर्ज नहीं की गई है.
पिछले कुछ दशकों में 100 से अधिक मलेरिया वैक्सीन उम्मीदवारों ने नैदानिक परीक्षणों में प्रवेश किया है, लेकिन उनमें से किसी ने भी WHO के मलेरिया वैक्सीन टेक्नोलॉजी रोडमैप द्वारा लक्षित 75 प्रतिशत से अधिक प्रभावकारिता नहीं दिखाई है.
'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' इस वैक्सीन को बनाने का काम करेगी
'सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' बायोटेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी जो R21 वैक्सीन का निर्माण कर रही है. उन्होंने कहा कि इसमें सालाना 200 मिलियन से अधिक खुराक बनाने की क्षमता है.'द गार्जियन' द्वारा उद्धृत सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा कि घाना के अधिकारियों द्वारा वैक्सीन का लाइसेंस मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
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