Mihika Seth: कौन-सी है वो बीमारी, जिससे दुनिया छोड़ गई 'कल हो न हो' वाली दादी की पोती?
दौरा पड़ना या सीजर्स ब्रेन की एबनॉर्मल इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी है. जब किसी को दौरा आता है तो उसका दिमाग कंट्रोल से बाहर हो जाता है और वह होश खो बैठता है.
Seizure Outbreak : बॉलीवुड फिल्म 'कल हो ना हो' में दादी का रोल निभाने वाली वेटरन एक्ट्रेस सुष्मा सेठ (Sushma Seths) की 23 साल की पोती मिहिका सेठ का निधन हो गया है. वह लंबे समय से बीमार थीं. 5 अगस्त को अंतिम सांस ली. बेटी के निधन की जानकारी मां और एक्ट्रेस दिव्या सेठ ने दी. उन्होंने बताया कि मिहिका को पहले बुखार हुआ और उसके बाद लगातार बीमार होती चली गईं. जिससे उसे दौरा पड़ा (Seizure) और निधन हो गया. आइए जानते हैं दौरा पड़ने वाली कंडीशन कितनी खतरनाक होती है, इससे कैसे बचा जा सकता है..
सामने आई जानकारी के मुताबिक 5 अगस्त को मिहिका को बुखार आया था और फिर इसके बाद दौड़ा पड़ने से उनका निधन हो गया. इकलौती बेटी के न रहने से परिवार गम में डूबा है. आइए जानते हैं दौरा पड़ने वाली कंडीशन कितनी खतरनाक होती है, इससे कैसे बचा जा सकता है...
दौरा पड़ना कितना खतरनाक
दौरा पड़ना या सीजर्स ब्रेन की एबनॉर्मल इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी है. जब किसी को दौरा आता है तो उसका दिमाग कंट्रोल से बाहर हो जाता है और वह होश खो बैठता है. उसे दिन में कई-कई बार दौरे आ सकते हैं.
दौरा कितने तरह का होता है
1. जरनेलाइज वन सेट सीजर- इसमें दिमाग के दोनों तरफ इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी बिगड़ जाती है. अचानक से शरीर हिलना-डुलना या काम करना बंद कर देता है.
2. फोकल वनसेट सीजर-इसमें दिमाग की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी एक तरफ होती है. जिसका असर शरीर के आधे हिस्से पर दिखता है.
दौरा पड़ने से कब मौत का खतरा रहता है
दौरे को तेज फीवर ट्रिगर कर सकता है. तेज बुखार आने पर दौरा पड़ने की आशंका काफी ज्यादा होती है. अगर किसी को पहले से ही दौरा पड़ने की समस्या हो तो बुखार के समय इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं. इसके अलावा डायबिटीज, ब्रेन ट्यूमर जैसी समस्याओं में दौरा पड़ सकता है. सबसे खतरनाक दौरा स्टेटस एपिलेप्टिकस माना जाता है, जो कम से कम 5 मिनट से ज्यादा समय तक रहता है. इसमें इंसान का ब्रेन डैमेज हो सकता है.
कब हो जाना चाहिए अलर्ट
अगर किसी बच्चे या बड़े को तेज बुखार आ रहा है तो घर पर इलाज करने की बजाय तुरंत अस्पताल ले जाकर डॉक्टर को दिखाना चाहिए. सीजर के लक्षणों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अगर पहले से ही इसकी समस्या हो तो समय पर उसका इलाज करना चाहिए, ताकि किसी भी गंभीर स्थिति से बचा जा सके.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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