Somatic Therepy: तनाव आजकल हर किसी की परेशानी का  सबब बन चुका है. रिश्तों में टूटन, हादसे, उदासी, अकेलापन ऐसे कई कारण हैं जो दिमाग में तनाव का कारण बनते हैं. मनोचिकित्सक कहते हैं कि केवल आपका दिमाग ही नहीं बल्कि शरीर भी इन वजहों से हुए तनाव को स्टोर करता है. यानी दिमाग में जो तनाव है वो शरीर में किसी रूप में स्टोर हो जाता है जो शरीर के किसी हिस्से जैसे पीठ या बदन दर्द के रूप में सामने आता है. ऐसे में जरूरी है कि इस शारीरिक और दिमाग से जुड़े तनाव को दूर करने के लिए किसी कारगर थेरेपी की मदद ली जाए. ऐसे में सोमेटिक थेरेपी (Somatic Therapy) काफी चलन में आ गई है. सोमेटिक थेरेपी वो थैरेपी है जिसमें मनोचिकित्सक व्यक्ति के तनाव वाले मनोभावों को मुक्त करके व्यक्ति को स्वस्थ करते हैं.  चलिए जानते हैं कि सोमेटिक थेरेपी क्या है और ये कैसे काम करती है. 

 

क्या है सोमेटिक थेरेपी  

सोमा का मतलब है किसी भी इंसान के शरीर से संबंधित विज्ञान. इस थेरेपी के जरिए थेरेपिस्ट मरीज के दिल और शरीर में दबे हुए तनाव, चिंता, भय और भ्रम को दूर करने में मदद करते हैं. ये किसी तरह का हादसा हो सकता है, कोई एक्सीडेंट, गहरा आघात हो सकता है. इस तरह के आघात दिमाग के साथ साथ शरीर में भी कैद हो जाते हैं और ये शरीर के किसी हिस्से में दर्द बनकर ठहर जाते हैं. जब व्यक्ति इस आघात को याद करता है तो उस हिस्से में दर्द होने लगता है. सोमेटिक थेरेपी  शरीर में दर्द के रूप में स्टोर इसी तनाव को दूर करने का काम करती है. 

 

हादसों के शिकार लोगों का इलाज करती है ये थेरेपी  

एक्सपर्ट बताते हैं कि ये थेरेपी खासतौर पर उन लोगों के लिए कारगर होती है जो पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के मरीज है. किसी हादसे में बचे लोग, किसी बेहद अपने को खोने का दुख झेल रहे लोग इसमें शामिल होते हैं. ऐसे में ये हादसे और आघात मरीज के दिमाग में इतने अंदर तक बैठ जाते हैं कि शरीर इनको स्टोर कर लेता है. इस तरह के तनाव के ट्रिगर होने पर शरीर का नर्वस सिस्टम भी प्रभावित होता है और कोर्टिसोल जैसा हार्मोन रिलीज होता है. इस वजह से बीपी हाई होता है, इम्यून सिस्टम पर भी बुरा असर पड़ता है और शरीर में कई हिस्सों में दर्द होने लगता है. 

 

कैसे काम करती है सोमेटिक थेरेपी

इस थेरेपी के जरिए थेरेपिस्ट शरीर में तनाव स्टोर करने वाले उन प्वाइंट्स को खोजते हैं और उनको तनावमुक्त करने का प्रयास करते हैं. ट्रॉमा, आघात, एक्सीडेंट से जुड़े तनाव को राहत देकर विचारों और फीलिंग्स को शांत करवाया जाता है. इस थेरेपी में मरीज डांस, एक्सरसाइज, म्यूजिक, प्राणायाम और अन्य फिजिकल एक्टिविटी के जरिए शारीरिक तनाव को दूर करने की कोशिश करते हैं.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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