इंसान से लेकर जानवर तक सभी में किसी ना किसी चीज से डर होता है. कोई सांप से डरता है तो कोई इंसान से ही डरता है. इस डर के कारण कभी-कभी इंसान की हार्ट अटैक आने से मौत भी हो जाती है. अगर आप कोई फोटो या कुछ भी देख कर डरते हैं तो आपको कहीं ट्राइपोफोबिया तो नहीं है. वैसे फोबिया एक दीमागी बीमारी है. ये बीमारी तब होती है जब इंसान किसी चीज से सामान्य से अधिक डरता है. फोबिया कई तरह का होता है. आइए जानते हैं स्पेक्ट्रोफोबिया क्या होता है?
क्या होता है फोबिया
जीवन में डरना स्वाभाविक होता है, जब इंसान हद से ज्यादा डरने लगता है तो वो एक समस्या बन जाती है. इस डरने वाली समस्या को अंग्रेजी में फोबिया कहा जाता हैं. फोबिया और डर दोनों एक जैसे ही होते है, लेकिन एक नहीं हैं. डर एक तरह का इमोशनल रिस्पॉन्स है. ये तब होता है, जब आपके परीक्षा में नंबर कम आए हों और आपको माता पिता से मार खाने का डर सता रहा है. जबकि फोबिया डर का खतरनाक स्तर है. इस परिस्थिति में लोगों पर डर काफी ज्यादा हावी हो जाता है जिससे बचने के लिए आदमी खुद को जोखिम में डाल देता है या फिर कहें तो वो सारी हरकतें करता है जिससे कि वो सुरक्षित रह पाए. एक रिपोर्ट के अनुसार फोबिया लगभग 100 से भी अधिक प्रकार के हो सकते हैं.
क्यों डरता है इंसान
आज हम जिस फोबिया से डरने की बात कर रहे हैं वो स्पेक्ट्रोफोबिया है. इस बीमारी में लोगों को शीशा देखने में डर लगता है. इसमें इंसान शीशे में अपना ही चेहरा देख कर डरने लगता है. कई बार लोग इस बीमारी को समझ नहीं पाते और इसे काले जादू से जोड़ कर देखते हैं. हालांकि ये कोई काला जादू नहीं होता, बल्कि ये एक तरह की दिमागी बीमारी है, जिसमें इंसान शीशा देखने से कतराता है.
स्पेक्ट्रोफोबिया के कारण
फोबिया होने के कई कारण भी हो सकते हैं. किसी घटना से अगर इंसान एक बार जूझ चुका होता है तो भी उसे फोबिया होता है. जिसके वजह से इंसान के दिल और दिमाग में एक काल्पनिक चित्र बन जाती है. जब इंसान अपनी आंखों को बंद करता है तो उस घटना को देखता है या फिर सोंचता है. इस वजह से इंसान बहुत ज्यादा घबरा जाता है और दिमागी रूप से भी डर जाता है. डर काफी डीप में चला जाता है जिस कारण उसे हर वक्त वो डर सताते रहता है. कुछ लोग शीशा को देखकर डरते हैं. कुछ लोग शीशे से नफरत करते हैं क्योंकि उसे शीशा से डर लगता है. कुछ लोगों को ऊंचाई से तो किसी को पानी से लोग डरते हैं. ऐसे में चिकित्सक भी उनको वहां पर जाने से बचने की सलाह देते हैं.
स्पेक्ट्रोफोबिया के लक्षण
स्पेक्ट्रोफोबिया से पीड़ित लोग ज्यादा कोशिश करते हैं कि वो शीशे को देखने से बचते है. ऐसी स्थिति में उनके ऊपर नकारात्मक ऊर्जा हावी होने लगती है. वैसे तो लोग अपने घर में शीशा देखने से बचते हैं. लेकिन जब वे कही बाहर निकलते हैं तो उनके लिए परेशानी की समस्या होती है. वे शीशा का नाम डरते हैं उनके शरीर में कई लक्षण दिखने लगते हैं जैसे तेजी से पसीना आना शुरु हो जाता है, तो किसी को सांस लेने में दिक्कत आने लगती है. चक्कर आना, ह्रदय की गति बढ़ने लगती है. किसी को थकान लगने लगता है तो कई लोग को चिड़चिड़ापन होना शुरू हो होता है. ये स्पेक्ट्रोफोबिया होने पर सामान्य लक्षण है. इससे इंसान परेशान होकर कभी-कभी बेहोश भी हो जाता है.
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