क्या आपको भी शरीर में हर वक्त रहती है ऐंठन और जकड़न...कहीं ये गंभीर डिसऑर्डर तो नहीं
स्टिफ पर्सन सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को शरीर में अकड़न दर्द जैसी समस्या देखने को मिलती है
Stiff Person Syndrome: क्या आपको भी हर वक्त शरीर में अकड़न, मांसपेशियों में दर्द, बेचैनी ऐंठन महसूस होता है. अगर हां तो यह खबर बिल्कुल आपके लिए है. दरअसल हम आज आपको एक ऐसी बीमारी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसमें यह सारे लक्षण देखे जाते हैं. कई बार हम में से बहुत सारे लोग हैं जो अकड़न और दर्द की समस्या को थकान और नॉर्मल दर्द समझकर इग्नोर कर देते हैं लेकिन यह समझने की जरूरत है की अकड़न और मांसपेशियों में ऐंठन नॉर्मल नहीं हो सकता है. आप किसी गंभीर बीमारी से भी जूझ सकते हैं. तो चलिए जानते हैं की अकड़न और ऐंठन होने के पीछे कौन सी गंभीर बीमारी हो सकती है.
स्टिफ पर्सन सिंड्रोम
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर एंड स्ट्रोक के मुताबिक स्टिफ पर्सन सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो मुख्य रूप से दिमाग ,रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों को शरीर में ज्यादा अकड़न दर्द बेचैनी और मांसपेशियों में ऐंठन जैसी समस्या देखने को मिलती है यह बीमारी 20 लाख लोगों में से किसी एक को होती है. वैसे तो यह बीमारी 30 से 60 साल के लोगों में अधिक नजर आती है लेकिन कुछ मामलों में यह बीमारी बच्चों में भी देखने को मिलती है इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को शोर और टेंशन की वजह से ज्यादा समस्या हो सकती है.आपको बता दें कि इस बीमारी से हॉलीवुड सिंगर सिलिन डिओन भी पीड़ित हैं. सिलिन की माने तो उन्हें इस कदर शरीर में दर्द होता है कि वह ठीक से चल भी नहीं पाती हैं और अब वह उस तरह से नहीं गा पा रही है जैसे वह गया करती थीं.
क्या है इसके लक्षण
स्टिफ पर्सन सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को शुरुआत में मांसपेशियों में अकड़न महसूस होती है और यह धीरे-धीरे पैर की मांसपेशियों में अकड़न बढ़ जाती है. फिर यह हाथ और चेहरे तक फैल जाती है.व्यक्ति का हिलनी डुलना तक मुश्किल हो जाता है.कभी कभी ये दर्द इतना बढ़ जाता है कि आप उठकर खड़े भी नहीं हो पाते हैं.डॉक्टर शारीरिक अकड़न को कम करने की कोशिश करते हैं ताकि मरीज का मूवमेंट सुधर सके.स्टीफ़ पर्सन सिंड्रोम को लेकर अभी रिसर्च जारी है. वहीं मेडिकल रिपोर्ट्स का कहना है कि यह एक तरह की ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिससे शरीर को सुरक्षित रखने वाले सिस्टम ही उसे नुकसान पहुंचने लगते हैं.
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