Sudden Arrhythmic Death Syndrome: दुनिया भर में हर साल करोड़ो लोग हार्ट अटैक के कारण दम तोड़ देते हैं. कार्डियक अरेस्ट किसी को तब होता है जब दिल अचानक शरीर में ब्लड को पंप करना बंद कर देता है. इसकी वजह से सांस रुक जाती है और ब्रेन में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. कार्डियक अरेस्ट के अलावा एक बीमारी ऐसी भी है, जो और भी ज्यादा खतरनाक है और वो बीमारी 'सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम' है. जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ये बीमारी किसी को सांस लेने तक का मौका नहीं देती और व्यक्ति की तुरंत मौत हो जाती है. इस बीमारी से हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है.


क्या है 'सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम'?


ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन का कहना है कि सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम (SADS) एक ऐसी खतरनाक बीमारी है, जिसमें किसी व्यक्ति की कार्डियक अरेस्ट से अचानक मौत हो जाती है. लेकिन कार्डिएक अरेस्ट के कारण का पता तक नहीं चल पाता. भारत सहित कई देशों में सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम के मामले बढ़ रहे हैं. हार्ट एक्सपर्ट का कहना है कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित 40 साल से कम उम्र के लोग हैं. ये एक ऐसी बीमारी है, जो तब किसी को प्रभावित करती है जब दिल की धड़कन के साथ कॉर्डिनेट करने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल काम करना बंद कर देते हैं.


ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक, सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम या दिल की गति से जुड़ी समस्याओं का सामना ब्रिटेन में 20 लाख से ज्यादा लोग करते हैं. अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इंसान की मृत्यु हो जाती है. हालांकि कुछ स्थितियां हैं, जो दिल में किसी तरह का बदलाव पैदा करने की कोशिश करती हैं, जिनकी वजह से सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम होता है.


खतरे को कैसे करें कम?


इन स्थितियों में अलग-अलग तरह के कार्डियोमायोपैथी शामिल हैं, जो दिल की मांसपेशियों से जुड़े रोगों का एक ग्रुप है. इसकी वजह से दिल की मांसपेशियों के साइज, शेप और थिकनेस पर प्रभाव पड़ता है. इन्हें हमेशा होने से रोका तो नहीं जा सकता. हालांकि खानपान पर ध्यान देकर, शराब का सेवन छोड़कर, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में लाकर इस बीमारी के खतरे को कम जरूर किया जा सकता है. जब हार्ट अटैक का कारण मरने वाले व्यक्ति में देखने को नहीं मिलता, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अक्सर सडन एरिथमिक डेथ सिंड्रोम का जिक्र कर दिया जाता है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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