Superbug : कोरोना (Corona) के बाद अब दुनिया में सुपरबग का खतरा मंडरा रहा है. लैंसेट की एक स्टडी में बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है. अनुमान है कि 2050 तक सुपरबग्स से करीब 40 मिलियन मौतें हो सकती हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह सुपरबग (Superbug) है क्या, यह कितना खतरनाक है, इससे मौत कैसे हो रही है, इसकी कोई दवाई या वैक्सीन है या नहीं, आइए जानते हैं ऐसे ही सवालों का जवाब...




सुपरबग क्या है




सुपरबग का वास्ता जर्म्स है, जो माइक्रोबियल स्ट्रेन हैं. मतलब बैक्टीरिया, वायरस और फंगस के नए स्ट्रेंस. जब कोई बैक्टीरिया, पैथोजेन या वायरस एंटीबायोटिक्स और दूसरे एंटीमाइक्रोबियल ड्रग्स के खिलाफ रेजिस्टेंस बना लेता है तो सुपरबग बन जाता है. इसस पर दवाइयों का असर नहीं होता है, इसलिए इलाज ज्यादा मुश्किल हो जाता है.


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सुपरबग कितने खतरनाक हैं




सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, सुपरबग्स से अकेले अमेरिका में हर साल 28 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं. इनमें से 35,000 से ज्यादा की मौत हो जाती है. अगर इसका कोई स्ट्रेन महामारी की तरह फैलता है तो पूरी दुनिया में तबाही ला सकता है.


WHO के मुताबिक, बैक्टीरियल AMR की वजह से 2019 में दुनिया में 1.27 मिलियन मौतें हो गई थीं. AMR किसी तरह के इंफेक्शन के इलाज को मुश्किल बना देते हैं, जिससे सर्जरी, सिजेरियन सेक्शन और कीमोथेरेपी जैसी मेडिकल प्रोसीजर और ट्रीटमेंट्स रिस्की हो जाते हैं. कई स्टडीज में सुपरबग्स के दुनिया में नई महामारी बनने की आशंका जताई गई है.




सुपरबग्स क्यों बढ़ रहे हैं




मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और दुरुपयोग की वजह से सुपरबग्स में बढ़ोतरी हुई है. पशु पालन में अनुपयुक्त टीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल, सेल्फ मेडिकेशन और गलत प्रिस्क्रिप्शन के चलते ऐसा हो सकता है. बहुत ज्यादा गंदगी में रहने की वजह से भी इस तरह के जर्म्स का इंफेक्शन का खतरा रहता है. खाने को साफ-सफाई से न पकाया जाए या पैक किया जाए तो बैक्टीरिया पैदा हो सकते हैं. अगर इंफेक्शन का समय पर इलाज न कराया जाए तो इसके बढ़ने का खतरा रहता है. साथ ही शरीर में मौजूद पैथोजन खुद की संख्या को बढ़ाते जाते हैं.


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सुपरबग्स से क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं




1. इंफेक्शन से होने वाली बीमारियां जैसे निमोनिया, टीबी, UTI के इलाज में मुश्किल आ सकती है.




2. सर्जरी के बाद एंटीबायोटिक शरीर में काम नहीं करेंगे और इंफेक्शन बढ़ सकता है. जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है.




3. कैंसर के इलाज में की जाने वाली कीमोथेरेपी का असर इम्यून सिस्टम पर पड़ता है. इससे मरीजों को इंफेक्शन का खतरा हो सकता है, जो रिस्की और जानलेवा हो सकता है.




4. पुरानी बीमारियों वाले मरीजों की समस्याएं भी बढ़ सकती हैं.




5. डायबिटीज, किडनी की बीमारी, फेफड़ों की बीमारियों का इलाज गंभीर परेशानियां पैदा कर सकता है. 




सुपरबग्स से बचने के लिए सावधानियां




1. अच्छी तरह हाथ धोएं और साफ करें




2. खाने में साफ-सफाई बरतें, गंदगी से बचें.




3. सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन से बचने की कोशिश करें. कंडोम का इस्तेमाल सही तरह करें.




4. बीमार लोगों से एक उचित दूरी बनाकर रखें.




5. रिकमेंडेड वैक्सीन लगवानें में देरी या लापरवाही न बरतें.




6. सही समय पर डॉक्टर की दवाइयां लें. थोड़े से जुकाम-बुखार पर एंटीबायोटिक लेकर न खाएं. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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