(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
डायबिटीज और प्री-डायबिटीज का फर्क 7 पॉइंट में समझें- प्री-डायबिटिक होने के बाद आप कैसे बच सकते हैं?
'भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं. वहीं 13.6 करोड़ आबादी प्री-डायबिटीक हैं. डायबिटीज और प्री-डायबिटीज का फर्क 7 पॉइंट में समझें.
'भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं.' यह बात सुनते ही किसी के मुंह से निकल जाए इतना बुरा हाल है इंडिया का. यह बात किसी को भी परेशान कर सकती है. लांसेट में छपी 'इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च' (आईसीएमआर) के मुताबिक सिर्फ भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा डायबिटीज के मरीज है. सबसे हैरानी वाली बात यह है कि गोवा जोकि इंडिया का सबसे हैपनिंग प्लेस हैं यहां पर सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज पाए गए हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डायबिटीज के मामले कुछ राज्यों में काफी ज्यादा स्थिर है.
लांसेट ने डायबिटीक और प्री-डायबिटीक को लेकर क्या कहा?
लांसेट की रिपोर्ट यह भी खुलासा किया गया है कि भारत देश में 13.6 करोड़ आबादी प्री-डायबिटीक हैं. वहीं देश की कुल जनसंख्या में 11.4 फीसदी आबादी डायबिटीक है. डायबिटीज से यहां अर्थ है जिन्हें डायबिटीज है. लेकिन प्री-डायबिटीक से मतलब है कि जो आने वाले टाइम में डायबिटीक हो जाएंगे. प्री-डायबिटीक में ज्यादा यंग और बच्चे लोग शामिल है.
डायबिटीज और प्री-डायबिटीक दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. दोनों इंसुलिन से जुड़ी हुई हैं. इंसुलिन का काम ही है शरीर में ग्लूकोज की मात्रा जब भी बढ़े उसे कंट्रोल करना. जब शरीर आवश्यकता अनुसार इंसुलिन नहीं बनाता है तब शरीर में शुगर लेवल या डायबिटीज की बीमारी होती है. इसकी वजह से किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज और प्री- डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है.
प्री-डायबिटीज क्या है?
प्री-डायबिटीज को बॉर्डर लाइन डायबिटीज भी कह सकते हैं. इसका मतलब यह है कि शरीर में ब्लड में शुगर लेवल नॉर्मल से अधिक है. लेकिन इतना भी नहीं कि वह टाइप-2 डायबिटीज में आ जाए. इस डायबिटीज को लाइफस्टाइल में सुधार करके ठीक किया जा सकता है. लेकिन जो लोग प्री-डायबिटीक हैं वह आने वाले समय में डायबिटीज के मरीज बन जाएंगे. इसमें भी कोई दो राय नहीं है.
प्रीडायबिटीज के लक्षण
आप प्री-डायबिटीज को सिंपल शब्दों में यह कह सकते हैं कि यह डायबिटीज की शुरुआत होती है. प्री-डायबिटीज मरीजों को दवा की जरूरत नहीं पड़ती. वह अपनी लाइफस्टाइल ठीक कर लें. हो सकता है वह ठीक हो जाएं.
डायबिटीज क्या है?
डायबिटीज आजकल एक नॉर्मल बीमारी है. जो हर 6 में से एक इंसान को है. डायबिटीज में जैसा कि आपको पता है ब्लड में शुगर लेवल बढ़ जाता है. जब शरीर में इंसुलिन ठीक से काम न करें तो डायबिटीज हो जाता है. डायबिटीज में किडनी फेल, दिल की बीमारी, दिल का दौरा के चांसेस बढ़ जाते हैं.
डायबिटीज के लक्षण
बार-बार प्यास लगना
खाने के बाद भी भूख लगना
बार-बार टॉयलेट आना
घाव ठीक होने में समय लगना
आंख से ठीक से दिखाई न देना
हाथ-पैर में कमजोरी
प्री-डायबिटीज और डायबिटीज में ये होता है अंतर
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज
प्री-डायबिटीज में फास्टिंग प्लाज्मा 100 से 125 एमजी/डीएल के बीच होना चाहिए. अगर यह आंकड़ा 126 एमजी/डीएल से अधिक होता है तो यह डायबिटीज का संकेत है. अब आप सोचेंगे फास्टिंग प्लाज्म क्या है? इसमें काली ब्लड शुगर लेवल की जांच की जाती है. यह सुबह खाली पेट बिना कुछ खाए-पिए किया जाता है.
प्री-डायबिटीज में ही आप सतर्क हो जाएं तो आप भविष्य में होने वाले डायबिटीज की बीमारी को रोक सकते हैं. अपने लाइफस्टाइल में सुधार करके इसे रोका जा सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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