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खांसी और छाती में दर्द ही है इस गंभीर बीमारी के लक्षण, अगर हो जाए तो जान भी जा सकती है! जरूर पढ़ें

टीबी सिर्फ आपके फेंफड़ों को प्रभावित नहीं करता है,बल्कि ये दिल को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है..ऐसे में मरीज की जान भी जा सकती है.

Tuberculosis Pericarditis: टीबी यानी कि ट्यूबरक्लोसिस इसके बारे में हम सभी जानते हैं कि यह फेफड़ों की बीमारी होती है लेकिन इसका असर जब आपके हार्ट पर पड़ता है तो यह बेहद खतरनाक हो जाता है. इसे ही ट्यूबरकुलर पेरिकार्डाइटिस बीमारी के नाम से जाना जाता है. दरअसल मनुष्य का जो हृदय होता है 3 परतों से ढका होता है.इन परतों को एंडोकार्डियम मायोकार्डिया और पेरिकार्डियम कहते हैं.

इनमें से पेरिकार्डियम का काम हार्ट को बाहरी परत के रूप में ढकने का होता है. इस झिल्ली के आसपास सूजन आ जाती है, जिसके कारण ये कठोर और मोटी हो जाती है नतीजतन हॉट के फैलने और सिकुड़ने में रुकावट आती है. इस वजह से हार्ट खुद पर एक बोझ या दबाव महसूस करता है. एक वक्त के बाद इसी झिल्ली में अत्यधिक मात्रा में एक तरह का तरल पदार्थ इकट्ठा होने लगता है. इसे पेरिकार्डियल इफूसन के नाम से जाना जाता है. ये पहले पानी की तरह होता है, लेकिन बाद में गाढ़ा होने लगता है. इसमें जाले पड़ने लगते हैं, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, उन्हें इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है.इससे मरीज की जान भी जा सकती है.

क्या होते हैं इस बीमारी के लक्षण?

अक्सर इसके शुरुआती लक्षण में बुखार हो जाते हैं. लगभग 75 फ़ीसदी मामलों में सबसे पहले शाम के समय तेज होने वाला बुखार आता है. मरीज को काफी ज्यादा पसीना भी आता है. यह लक्षण फेफड़ों की टीबी में भी नजर आ सकते हैं, लेकिन उसके बाद छाती में दर्द, भारीपन, सांस लेने में दिक्कत, खांसी आना, पैरों में सूजन, यह लक्षण है जो ट्यूबरकुलर पेरिकार्डाइटिस में अक्सर देखे जाते हैं

कैसे होता है डायग्नोसिस

इसकी पहचान के लिए छाती के एक्स-रे की जांच सबसे जरूरी जांच होती है. इसमें अगर हार्ट का साइज बढ़ा हुआ लगे या हार्ट के चारों तरफ कुछ तरल पदार्थ दिखाई दे तो ट्यूबरकुलर पेरिकार्डाइटिस हो सकता है. इसके बाद हार्ट के इकोकार्डियोग्राफी की जांच में पता चलता है कि क्या हार्ट की पेरिकार्डियम मोटी हो चुकी है. पेरिकार्डियम के चारों तरफ तरल पदार्थ जमा हुआ है, वह कितनी मात्रा में है.. क्या उससे हार्ट पर दबाव ज्यादा है. इसके अलावा टीवी के अन्य टेस्ट जैसे बलगम की जांच हार्ट के चारों ओर जमे तरल पदार्थ की जांच, ब्लड टेस्ट भी किए जाते हैं.

बीमारी का इलाज क्या है?

बीमारी का पता लगते ही इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए. मरीज को तुरंत इस बीमारी की दवाइयां देनी चाहिए. जो मरीज टीबी और ट्यूबरकुलर पेरिकार्डाइटिस दोनों से प्रभावित हैं,उनका टीबी का मुख्य इलाज किया जाता है. वहीं पेरिकार्डियम परत के आसपास अधिक मात्रा में तरल पदार्थ जमा है तो इससे फ्लोरो इमेजिंग की मदद से निकाला जाता है. वही मोटी और सख्त झिल्ली को कार्डियक सर्जरी के जरिए ठीक किया जाता है, ताकि हृदय की संकुचन प्रक्रिया बहाल हो सके. इस बीमारी की वजह से मरीज बहुत कमजोर हो जाता है इसलिए खाने-पीने का खास खयाल रखना पड़ता है. आहार में प्रोटीन, कैलोरी, युक्त आहार शामिल करना चाहिए. इसके लिए पालक, हरी सब्जियां, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, अमरुद,आलूबुखारा, संतरा, सेब आदि का सेवन किया जा सकता है.

 भारत में टीबी मराजों को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट

भारत में टीबी के बढ़ते मरीजों को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट पेश की गई थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर का हर चौथा टीबी मरीज भारतीय है. यानी कि दुनिया भर के कुल टीवी मरीजों में 26 फ़ीसदी भारतीय हैं. भारत सरकार ने देश को 2025 तक टीवी मुक्त करने का लक्ष्य रखा था हालांकि कोरोना महामारी के कारण इसे और आगे बढ़ा दिया गया है.

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