वायरल बुखार मानसून के दौरान होनेवाली सबसे आम बीमारी है. जागरुकता की कमी से वायरल बुखार अक्सर अज्ञात रहता है, उसके नतीजे में ये बढ़कर अंतिम चरण को पहुंच जाता है. उसके अलावा, तेज बुखार को कम करने के लिए एंटीबायोटिक्स की मदद से खुद इलाज की आदत दिक्कतों के जोखिम को बढ़ा देती है. वायरल बुखार का मतलब है वायरस होनेवाला बुखार या वायरल संक्रमण. ये बिल्कुल बुखार की तरह होता है. हालांकि, उसके शुरुआती दौर में शरीर के बहुत ज्यादा थक जाने, मसल या शरीर में तेज दर्द का एहसास हो सकता है.


वायरल बुखार वायु जनित बीमारी है. उसके अलावा, ये दूषित पानी के फैलाव से भी हो सकती है, जिसको पानी से होनेवाला संक्रमण कहा जाता है. वायरल बुखार बैक्टीरियल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण एक जैसे हो सकते हैं, जिसकी वजह से दोनों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है. लेकिन आप वायरल बुखार और बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होनेवाले बुखार में फर्क कर सकते हैं. बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल बुखार के बीच अंतर को इस तरह समझें.


वायरल बुखार के लक्षण


शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से ज्यादा, शरीर के तापमान में पिछले 48 घंटों के बाद भी कमी नहीं. बैक्टीरियल इंफेक्शन के लक्षणों की लिस्ट में शरीर का दर्द, स्किन पर चकत्ते और सिर दर्द शामिल होते हैं.  


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वायरल बुखार के कारण 


हमारे शरीर के अंदर कई वायरस का ठिकाना होता है, जो संक्रमण के खिलाफ लड़ता है और शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है. लेकिन, कमजोर इम्यूनिटी के कारण इन गुड वायरस की संख्या शरीर में कम हो सकती है, जो शरीर को  बाहरी संक्रमण से सुरक्षा करने में अक्षम बना सकता है. उसके अलावा, वायरस से होनेवाले बुखार या बुखार के कारण अचानक या धीरे-धीरे हमारे शरीर के तापमान ज्यादा हो जाता है. इसका मतलब हुआ है कि हमारे शरीर के वायरस शरीर के अंदुर घुस रहे बाहरी वायरस से लड़ रहा होता है. ये बाहरी वायरस किसी भी स्वस्थ इंसान के अंदर तेजी से फैल सकता है. 


वायरल बुखार को ऐसे रोकें


वायरल बुखार को रोकने के लिए आप इस तरह देखभाल कर सकते हैं. शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करना, उसके अलावा, अपनी रोजाना की डाइट में पौष्टिक पोषक तत्वों को शामिल करना.