How To Control Pmsing: पीरियड्स शुरू होने से पहले ज्यादातर महिलाओं की कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ये समस्याएं शरीर और मूड में बदलाव से जुड़ी हुई होती हैं. हर्मोन्स में बदलाव के चलते महिलाओं को पीरियड्स से पहले सैकड़ों तरह की समस्याएं होती हैं. सैकड़ों इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हर महिला में पीरिड्स से पहले होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव अलग-अलग होते हैं.
खास बात यह है कि हर महिला में हर महीने ये बदलाव एक जैसे हों ऐसा भी जरूरी नहीं है. एक महीने कुछ लक्षण तो दूसरे महीने इनसे एकदम अलग लक्षण नजर आ सकते हैं.
PMS क्या है?
प्री मेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम यानी पीएमएस उन लक्षणों को कहा जाता है, जो महिलाओं के शरीर में पीरिड्स आने से पहले नजर आते हैं. ये बदलाव शारीरिक ऊर्जा से भी जुड़े हो सकते हैं और मूड संबंधी भी हो सकते हैं या एक साथ में दोनों भी हो सकते हैं. बोलचाल की भाषा में इन्हें Pmsing कहा जाता है. यह शब्द युवा महिलाओं की आपसी बातचीत का आम शब्द बन गया है. जब भी कोई फ्रेंड अधिक गुस्सा करती है, नाराज हो जाती है या उदास रहती है तो उसे Stop Pmsing कह देना मानों एक फैशन बन गया है. फिर चाहे उसे Pmsing हो भी रही हो या नहीं. खैर, मुद्दे पर लौटते हैं और पीएमएस के लक्षण जानते हैं...
पीरियड्स के से पहले नजर आने वाले लक्षण
- पैरों के निचले हिस्से में दर्द
- ब्रेस्ट का बहुत सॉफ्ट हो जाना
- थाइज में दर्द
- मुंह में छाले होना
- जीभ पर छाले होना
- कमर के निचले हिस्से में दर्द होना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- कब्ज होना
- भूख कम लगना
- शरीर भारी-भारी रहना
- गुस्सा बहुत अधिक आना
- नींद अधिक आना
- नींद ना आना या कम आना
- उदासी आना
- स्किन पर डलनेस दिखना
- थकान अधिक लगना
- फोकस में कमी होना
- मन खराब होना
- अपच की समस्या होना
- सिर में दर्द रहना
- पेट में सूजन
- पिंपल्स निकलना
- ऐक्ने बढ़ जाना
- लूज मोशन हो जाना
- तेज लाइट में बेचैनी होना
- तेज आवाज से घबराहट होना. इत्यादि
क्या पीएमएस को किया जा सकता है?
जिन लड़कियों या महिलाओं की पीएमएस के दौरान बहुत अधिक समस्या होती है, वे अक्सर इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहती हैं कि क्या इन लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है? तो इसका उत्तर है हां, आप अपनी लाइफस्टाइल और डायट के माध्यम से इन समस्याओं को नियंत्रित कर सकते हैं. क्या करना है, इस बारे में यहां जानें...
- आप मैदा युक्त और डिब्बाबंद फूड्स का सेवन कम करें या बिल्कुल ना करें.
डेली डायट में कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन और विटमिन्स युक्त भोजन का सेवन करें. विटामिन-बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन-सी, डी,ई और फोलेट की कमी शरीर में बिल्कुल ना होने दें. - चाय, कॉफी, कैन में आने वाली ड्रिंक्स का सेवन कम करें.
- दर्द अधिक होने पर पेनकिलर्स की जगह सिकाई करें, आराम करें, काढ़ा या ब्लैक-टी पिएं और दर्दनिवारक आयुर्वेदिक तेल लगाकर राहत पाएं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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