जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है, तो उसके मन में कई सवाल उठते हैं. इनमें से एक आम सवाल है, "बेबी की धड़कन कब सुनाई देगी?" ये सवाल बहुत ही स्वाभाविक है क्योंकि मां बनने का एहसास ही ऐसा होता है कि मां अपने बच्चे के हर पल को महसूस करना चाहती है. आइए जानते हैं कि पहली बार बेबी का धड़कन कब सुनाई देती है.
गर्भावस्था के छठे से आठवें सप्ताह के बीच, डॉक्टर आमतौर पर भ्रूण के दिल की धड़कन का पता लगा सकते हैं. लगभग 5वें सप्ताह के आसपास, बेबी का दिल बनना शुरू हो जाता है, और 6वें सप्ताह की शुरुआत तक उसकी धड़कन महसूस की जा सकती है. इसे एम्ब्रियोनिक हार्टबीट कहते हैं, जो यह दिखाता है कि बेबी की खुद की रक्त संचार प्रणाली बनने लगी है. यह वह समय होता है जब बेबी का दिल पहली बार धड़कता है और गर्भ में जीवन के संकेत मिलने लगते हैं.
बेबी की धड़कन कब सुनाई देती है?
आमतौर पर, प्रेग्नेंसी के 6 से 7 हफ्ते बाद अल्ट्रासाउंड के जरिए बेबी की धड़कन सुनी जा सकती है. हालांकि, कुछ मामलों में ये 8 हफ्ते तक भी हो सकता है. धड़कन सुनाई देने का समय इस बात पर भी निर्भर करता है कि प्रेग्नेंसी किस तरह से बढ़ रही है और अल्ट्रासाउंड कितने अच्छे से किया गया है.
कैसे होती है बेबी की धड़कन की जांच?
धड़कन को सुनने के लिए सबसे पहले डॉक्टर ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड करते हैं. इस प्रक्रिया में एक छोटा सा उपकरण योनि के अंदर डाला जाता है जिससे गर्भाशय के पास जाकर बेबी की स्थिति और उसकी धड़कन का पता लगाया जाता है. अगर 6-7 हफ्ते में धड़कन नहीं सुनाई देती तो डॉक्टर 1-2 हफ्ते बाद फिर से अल्ट्रासाउंड करने की सलाह दे सकते हैं.
धड़कन सुनना क्यों है महत्वपूर्ण?
बेबी की धड़कन सुनना प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में सबसे खुशी का पल होता है. ये इस बात का संकेत होता है कि बेबी का दिल सही से काम कर रहा है और प्रेग्नेंसी सही दिशा में बढ़ रही है. हालांकि, अगर शुरुआती हफ्तों में धड़कन नहीं सुनाई देती, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. हर महिला का शरीर अलग होता है और कभी-कभी बेबी की धड़कन थोड़ी देर से भी सुनाई दे सकती है.
डॉक्टर की सलाह पर ध्यान दें
अगर आपको बेबी की धड़कन के बारे में कोई चिंता या सवाल है, तो अपने डॉक्टर से बात करें. वो आपको सही मार्गदर्शन देंगे और आपको आपकी प्रेग्नेंसी के सफर में सुरक्षित और खुशहाल रखने में मदद करेंगे.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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