एक रिसर्च के मुताबिक भारत में समुद्र तल से 2,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर रहने वाले 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों का ग्रोथ ठीक ढंग से नहीं हो पाता है. बच्चों में यह जोखिम 40 प्रतिशत तक देखने को मिला है. 'बीएमजे न्यूट्रिशन प्रिवेंशन एंड हेल्थ' में छपी खबर के मुताबिक क्रोनिक मालन्यूट्रिशन या कुपोषण का शिकार होने से बच्चों का विकास रूक जाता है. भारत में इन दिनों एक बहुत बड़ी सार्वजनिक चुनौती है.
आयोडीन की कमी
IANS की रिपोर्ट के मुताबिक एनएनईडीप्रो ग्लोबल इंस्टीट्यूट फॉर फूड न्यूट्रिशन एंड हेल्थ के कार्यकारी निर्देशक प्रोफेसर सुमंत्र रे ने कहा कि भारत में चलाए गए स्वास्थ्य कार्यक्रमों में यह बात आई है कि बच्चों के खाने में आयोडीन की कमी पाई गई है. जिसके कारण पोषण संबंधी परेशानी हउई है.
जिसका असर बच्चों के हाइट पर भी पड़ता है. जब बच्चे के शरीर में गलत हड्डी बढ़ने लगती है तो बौनेपन की समस्या होने लगती है. बच्चे का विकास और उसके पूरे शरीर का विकास बहुत जरूरी है. इसके कारण बौनेपन की समस्या होती है. बच्चे में पोषण की कमी भी होती है इसलिए बच्चा बौना होने लगता है.
बौनेपन के कई कारण हो सकते हैं जैसे
जेनेटिक कारण: अगर माता-पिता की हाइट कम है तो बच्चा भी बौना हो सकता है. इसलिए माता-पिता में से एक लंबा होना चाहिए. क्योंकि हाइट का जेनेटिक कारण हो सकता है.
एडोक्राइिन डिसऑर्डर का शिकार: अगर बच्चा एडोक्राइिन डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं तो बच्चे में बौना के लक्षण दिखाई दे सकते हैं. जब बच्चे के शरीर में गलत हड्डी विकसित होने लगती है बच्चा बौनेपन का शिकार हो सकता है.
शरीर का ठीक ढंग से विकास न होना: अगर बच्चे के शरीर का विकास ठीक ढंग से नहीं होता है तो वह बैनेपन का शिकार हो सकते हैं. असल बात यह है कि बच्चे के शरीर का सही समय पर सही विकास होना चाहिए. अगर बच्चे को सही मात्रा में पोषण नहीं मिलता है तो बच्चे बौनेपन का शिकार हो जाते हैं.
बच्चे में बौनेपन का शुरुआती लक्षण उनके हाथ-पैर और शरीर पर दिखाई देते हैं. बौने से पीड़ित बच्चे के हाथ पैर छोटे और सिर बड़ा दिखाई देता है. टांगों का मुड़ा हुआ महसूस करना और मांसपेशियों में खिंचाव होना इसके शुरुआती लक्षण हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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