सेहत का खास ध्यान रखना है तो 'दालों की रानी' से करें दोस्ती, आयुर्वेद में इसे 'मुद्गा' कहते हैं
Best Dal For Desk Job Workers: घंटों लैपटॉप पर आंख गढ़ाकर बैठने वाले लोगों को इस दाल का सेवन जरूर करना चाहिए. क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार, इसे खाने से आइसाइट और मसल्स दोनों बेहतर बनी रहती हैं...
Queen Of Pulses: आयुर्वेद में 'दालों की रानी' का खिताब साबुत मूंग को हासिल है. वही हरे छिलके की दाल जिसका आप स्प्राउट्स बनाकर खाते हैं. याद आया? इस दाल के बिना अंकुरित खाने की इच्छा भी नहीं होती. क्योंकि अंकुरित में स्वाद और आकर्षण दोनों ही इस दाल के कारण आते हैं. मूंग की इस दाल को बोलचाल की भाषा में साबुत मूंग कहते हैं क्योंकि दाल किसी भी साबुत बीज को दलने (दाल के साबूत सीड को दो बराबर भागों में तोड़ने की प्रक्रिया) के बाद तैयार होती है.
सभी दालों में मूंग दाल को सबसे अधिक सुपाच्य यानी पाचन में आसान और हल्का माना जाता है. यानी इसे खाने के बाद शरीर में भारीपन का अहसास नहीं होता है, गैस्ट्रिक इश्यूज का सामना भी नहीं करना पड़ता है. कम ही लोग इस बात को जानते हैं कि मूंग दाल सुपरफूड्स की कैटिगरी में आती है. इस दाल को किस-किस तरह से खाया जा सकता है और इसे खाने के क्या लाभ हैं, यहां जानें...
मूंग दाल के सबसे खास बनाती है ये बात
- आयुर्वेद में मूंग दाल को दालों की रानी कहने का एक बड़ा कारण यह भी है कि इस दाल को खाने का तुरंत प्रभाव सिर्फ शरीर पर ही नहीं बल्कि मन पर भी नजर आता है. जब आप साबुत मूंग या मूंग छिलका या फिर मूंग धुली दाल का सेवन करते हैं तो मन में एक अलग तरह की सात्विकता का अनुभव होता है. जो मन को शांत करती है और पॉजिटिविटी को बढ़ाने में मदद करती है.
मूंग दाल खाने के फायदे
आयुर्वेद में मूंग दाल को दिन के एक भोजन में जरूर खाने की सलाह दी जाती है. यानी आप इसे स्प्राउट्स के रूप में सुबह नाश्ते में खाएं या फिर मूंग धुली दाल के रूप में दोपहर में चावल के साथ खाएं या फिर रात को मूंग छिलका दाल बनाकर इसे गाय का घी मिलाकर चपाती के साथ खाएं. क्योंकि...
- मूंग दाल खाने से बॉडी बहुत लाइट फील होती है
- बॉडी की अन्य पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता बढ़ती है.
- इसे खाने से डायजेशन बेहतर होता है
- मूंग दाल का नियमित सेवन करने वाले लोगों को कोल्ड की समस्या नहीं होती है.
- मूंग दाल का सेवन मेटाबॉलिज़म को बेहतर बनाता है.
कंप्यूटर पर काम करने वालों को जरूर खानी चाहिए
आयुर्वेद में मूंग दाल को आइसाइट बेहतर बनाने वाला माना गया है. यानी इस दाल के सेवन से दृष्टि दोष नहीं होता है और आपकी आइसाइट अच्छी बनी रहती है.
साथ ही मूंग दाल के नियमित सेवन से शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है, मसल्स हेल्थ इंप्रूव होती है. इसलिए आंखों की रोशनी और मसल्स की मजबूती के लिए सिटिंग जॉब में काम करने वाले लोगों को मूंग दाल का नियमित सेवन करना चाहिए.
मूंग दाल कैसे खाएं?
जैसा कि ऊपर भी बताया जा चुका है कि आप मूंग दाल को कई तरीकों से खा सकते हैं...
- 2 से 3 दिन पानी में भिगोने के बाद स्प्राउट्स बनाकर
- साबुत मूंग को उबालकर इसी चाट बनाकर
- मूंग की छिलका दाल के रूप में
- मूंग की छिलका दाल की खिचड़ी के रूप में
- मूंग की धुली दाल को चावल के साथ
- मूंग की धुली दाल को चाट के रूप में
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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