Zero Dose Children's: स्वास्थ्य महकमे में उस समय हड़कंप मच गया जब यूनिसेफ की एक इंटरनेशनल रिपोर्ट ने दावा किया कि भारत में जीरो डोज चिल्ड्रन की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हालांकि, भारतीय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के इन टीकाकरण आंकड़ों को खारिज कर दिया है और बताया है कि 2014 से अब तक 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं को वैक्सीनेशन दी जा चुकी हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने यूनिसेफ की रिपोर्ट को लेकर कहा कि ये आंकड़े अधूरी तस्वीर को सामने दिखाते हैं, जबकि भारत की स्थिति ऐसी नहीं है. 


कौन है जीरो डोज चिल्ड्रन 
जीरो डोज चिल्ड्रन क्या है? इसे लेकर अगर आपके मन में भी सवाल आ रहा है, तो हम आपको बता दें कि जीरो डोज चिल्ड्रन यानी कि शून्य खुराक वाले बच्चे. यह उन बच्चों को कहा जाता है जिनके पास अभी तक टीकाकरण की सेवाएं पहुंची ही नहीं है या जिन्होंने आज तक अपनी जिंदगी में कोई भी टीकाकरण नहीं लगाया है.


इसमें डीटीपी की पहली खुराक से लेकर हेपेटाइटिस बी, टेटनस जैसे कई टीकाकरण होते हैं. यह वैक्सीनेशन बच्चा के होने के तुरंत बाद लगते हैं और कुछ वैक्सीनेशन तो गर्भवती महिलाओं को भी लगाई जाती हैं. यूनिसेफ की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में जीरो डोज चिल्ड्रन की संख्या ज्यादा है. 


क्या कहती है यूनिसेफ की रिपोर्ट 
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, जीरो डोज चिल्ड्रन की संख्या कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में अभी ज्यादा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि यह संख्या 1.39 करोड़ से बढ़कर 1.45 करोड़ हो गई है और 2019 की तुलना में 17 लाख ज्यादा है. इतना ही नहीं 2023 में बिना टीकाकरण वाले और कम टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या भी 2.1 करोड़ है, जो बेसलाइन वैल्यू से 27 लाख ज्यादा है. यूनिसेफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत उन 10 देश में से एक है जहां दुनिया के 69 फीसदी जीरो डोज चिल्ड्रन है. 


क्यों जरूरी है वैक्सीनेशन 
वैक्सीनेशन बच्चों के शरीर को इम्यूनिटी देती है, जिससे नवजात बच्चों को जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है. इसमें खसरा, पोलियो, काली खांसी, डिप्थीरिया-टिटनेस-पर्टुसिस जैसे वैक्सीनेशन शामिल होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडी बनाने की ताकत देते हैं. जब बच्चा पैदा होता है तो उन्हें यह इंजेक्शन जरूर दिए जाते हैं.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


ये भी पढ़ें: कोविड के बाद बढ़ा बीमारी छिपाने का ट्रेंड, 100 करोड़ लोग इस डर के साए में, हैरान कर देगी रिसर्च में सामने आई वजह