विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि इक्वेटोरियल गिनी ने अपने यहां मारबर्ग रोग की वजह से पैदा हुए प्रकोप की जानकारी दी है. इक्वेटोरियल गिनी के मुताबिक, उसके यहां इबोला से संबंधित इस वायरस की वजह से कम से कम नौ लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है. ये मामले इस बात के सबूत हैं कि दुनिया से जानलेवा वायरसों को खत्म करने की कवायद अभी जारी रहने वाली है. 


कोविड का कहर दुनिया पहले ही देख चुकी है. ऊपर से अब नए-नए सामने आ रहे वायरसों की वजह से टेंशन बढ़ती जा रही है. यही वजह है कि WHO ने कई सारे वायरसों की लिस्ट बनाई हुई है, जिन्हें वो चिंताजनक मानता है. इस लिस्ट को 2017 से ही तैयार किया जा रहा है. इसमें कई सारे ऐसे वायरस हैं, जिन पर अभी रिसर्च किया जाना बाकी है. इसमें एक दो नहीं बल्कि 5 वायरस शामिल हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं. 


क्रीमियन-कांगो रक्तस्रावी बुखार: ये बीमारी अफ्रीका, बाल्कन, मध्य पूर्व और एशिया में अक्सर ही देखने को मिलती है. क्रीमियन-कांगो बुखार तब होता है, जब इंसान को किसी संक्रमित टिक्स (परजीवी जैसे कीड़े) द्वारा काटा जाता है या फिर वह बीमार पशुओं के संपर्क में आता है. इस बुखार से पीड़ित 10 से 40 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है. 


इबोला और मारबर्ग: चमगादड़ और प्राइमेट्स (बंदर जैसा दिखने वाला जानवर) की वजह से आमतौर पर इबोला और मारबर्ग इंसानों के बीच फैलता है. इंसान के संक्रमित होने के बाद वह दूसरे लोगों तक भी इसे फैला देते हैं. इस बीमारी की वजह से मरने की दर 50 फीसदी तक है. इबोला के लिए गिनी और कांगो में वैक्सीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. 


लस्सा बुखार: चूहों और कुतरने वाले जीवों के मल-मूत्र की वजह से लस्सा बुखार इंसानों में फैलता है. अभी ये बीमारी पश्चिमी अफ्रीका तक ही सीमित है. इस बीमारी के संपर्क में आने वाले इंसान इसे दूसरों को बड़ी आसानी से फैला सकते हैं. इसका सबसे बड़ा शिकार गर्भवती महिलाएं होती हैं. बुखार की वजह से मरीजों में बहरापन भी हो जाता है. 


निपाह वायरस: चमगादड़ों की वजह से फैलने वाली ये बीमारी आमतौर पर एशिया में लोगों को अपना शिकार बनाती हुई दिख जाती है. ये वायरस घोड़ों, बिल्लियों और कुत्तों के जरिए भी फैलता है. ये इंसानों से इंसानों में फैलने वाला वायरस भी है. निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के दिमाग में सूजन हो जाती है. इस बीमारी की मृत्यु दर 40-70 प्रतिशत है और वर्तमान में इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है. 


जीका वायरस: मच्छरों के काटने की वजह से फैलने वाली ये बीमारी खून को संक्रमित कर देती है. जीका आमतौर पर घातक नहीं होता है. लेकिन इससे संक्रमित होने पर गंभीर मस्तिष्क दोष पैदा हो सकता है. इस वायरस की वजह से गर्भपात करवाने की नौबत भी आ जाती है. वर्तमान में इस बीमारी की कोई वैक्सीन भी नहीं है. 


क्या कोविड की तरह होंगे खतरा? 


अभी तक इन वायरस की वजह से ज्यादा नुकसान देखने को नहीं मिला है. अधिकतर मामले कुछ ही देशों तक सीमित रहे हैं. जहां कोविड के दौरान ये देखने को मिला कि ये वायरस तेजी से दुनियाभर में फैल गया. लेकिन इन वायरसों के साथ ऐसा नहीं है. ये कुछ ही देशों में लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. हालांकि, वैक्सीन की गैरमौजूदगी की वजह से ये वायरस खतरनाक भी साबित हो सकते हैं. लेकिन क्या ये कोविड की तरह खतरनाक होंगे, अभी ये कहना जल्दबाजी होगी.


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