'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' (WHO) ने अपनी रिपोर्ट में HIV, वायरल हेपेटाइटिस और सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (STD) को लेकर बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस रिपोर्ट में कहा गया कि इन बीमारियों की वजह से हर साल 25 लाख से भी ज्यादा लोगों की मौत हो रही है.
साल 2025 तक मौत के आंकड़ों को सीमित करने का लक्ष्य
इन आंकड़ों को देखते हुए यह बात स्पष्ट है कि यह बीमारी ग्लोबल लेबल पर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियां पेश कर रहे हैं. हालांकि 2025 तक इन बीमारियों से होने वाले मौतों को 17 लाख तक सीमित करने का लक्ष्य रखा गया है.
एड्स या एचआईवी को टीरेट्रोवाइरल दवाओं से कर सकते हैं कंट्रोल
पूरी दुनिया में एड्स या एचआईवी ऐसी बीमारी है जिसमें टीरेट्रोवाइरल दवाओं के जरिए व्यक्ति अपनी आगे की जिंदगी आराम से व्यतीत कर सकते हैं. लेकिन WHO से जारी रिपोर्ट के मुताबिक इन बीमारियों से हर घंटे 285 लोगों की जान जा रही है. यह बीमारी स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.
रोजाना 10 लाख से ज्यादा लोग इस संक्रमण का हो रहे हैं शिकार
डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा कि यह किसी एक एक देश की समस्या नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में रोजाना 10 लाख से भी ज्यादा लोग इस तरह से सेक्सुअी ट्रांसमिटेड डिजीज का शिकार बन रहे हैं. यह बीमारियां इतनी ज्यादा खतरनाक है कि आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं.
अमेरिका और अफ्रीका में तेजी से बढ़ रही है बीमारी
नए डेटा के मुताबिक दुनिया के कई देशों में एसटीआई की बीमारी तेजी से बढ़ रहे हैं. WHO के सदस्य देशों ने 2030 तक नौजवानों में सिफिलिस संक्रमण की बढ़ रही संख्या को 10 गुना कम करने का लक्ष्य रखा था. फिलहाल इसकी संख्या 70 लाख के आसपास है. अभी भी 15-49 की उम्र वाले लोगों में सिफिलिस के मामले 2022 में 10 लाख से बढ़कर 80 लाख तक पहुंच गए. इस बीमारी की संख्या सबसे अधिक अमेरिका और अफ्रीकी देशों में बढ़ी है.
WHO ने साल 2030 तक का अपना लक्ष्य बताया
एचआईवी और वायरल हेपेटाइटिस संक्रमणों में कमी में देखी गई वहीं सिफलिस के बढ़ते केसेस चिंता पैदा कर रही है. WHO के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा, हम निदान और उपचार के साथ स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधा को लोगों तक पहुंचाने में लगे हुए है. 2030 तक इस ग्लोबल लेबल पर फैल रही बीमारियां जोकि स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है. इन बीमारियों को समाप्त करने के लिए हमारे पास जरूरी चीजें हैं.लेकिन हमारे सदस्य देश भी इसमें हमारी मदद करें तभी हम इन बीमारियों से लड़ने में कामयाब होंगे.
STI's चार तरह की होती है
सिफलिस (ट्रेपोनेमा पैलिडम), गोनोरिया (नीसेरिया गोनोरिया), क्लैमाइडिया (क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस) और ट्राइकोमोनिएसिस (ट्राइकोमोनास वेजिनेलिस). इन बीमारियों से हर दिन 10 लाख लोग संक्रमित होते हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी वयस्क और मातृ सिफलिस में 11 लाख की वृद्धि देखी गई है. वहीं साल 2022 में सिफलिस बीमारी से 2 लाख, 30 हजार लोगों की मौत हुई.
नए डेटा में मल्टी-रेसिस्टेंट गोनोरिया में भी वृद्धि देखी गई है. साल 2023 तक 87 देशों में गोनोरिया की रोकथाम के लिए अभियान भी चलाए गए. 9 देशों ने गोनोरिया के इलाज के अंतिम चरण में हम पहुंच चुके हैं. WHO फिलहाल इन बीमारियों की निगरानी कर रहा है.
साल 2022 में लगभग 11 लाख नए हेपेटाइटिस बी के मामले और लगभग 10 लाख मिलियन नए हेपेटाइटिस सी मामले दर्ज किए गए. प्रभावी रोकथाम, निदान और उपचार उपकरणों के बावजूद वायरल हेपेटाइटिस से होने वाली मौतों की संख्या साल 2019 में 10 लाख से बढ़कर 2022 में 12 लाख हो गई.
HIV संक्रमण 2020 में 15 लाख से घटकर 2022 में 13 लाख हो गए हैं. यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में फैल रही है जैसे पुरुष जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखते हैं, जो लोग ड्रग्स का इंजेक्शन लगाते हैं, यौनकर्मी, ट्रांसजेंडर व्यक्ति और जेलों और अन्य बंद स्थानों में रहने वाले व्यक्ति - अभी भी सामान्य आबादी की तुलना में काफी अधिक एचआईवी प्रसार दर का अनुभव करते हैं. 55 प्रतिशत नए एचआईवी संक्रमण इन आबादियों और उनके भागीदारों के बीच होते हैं. एचआईवी से संबंधित मौतें अभी भी अधिक हैं. साल 2022 में 6 लाख 30 हजार एचआईवी से संबंधित मौतें हुईं.
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