जिस पैकेट वाले फूड (चिप्स, मूंगफली, कॉर्न..आदि) को चाव से खाया जाता है, अगर उसी में 'मौत का खतरा' पल रहा हो तो क्या किया जाए. दरअसल, पैकेट वाले फूड आइटम्स के लिए कुछ गाइडलाइंस हैं, जिन्हें बेस्ट मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस कहा जाता है उनका काफी सारी कंपनियां पालन नहीं कर रही है. इसको लेकर WHO ने स्टेटस रिपोर्ट दी है. इसमें कहा गया है कि कंपनियों को 2023 तक इन नियमों का पालन करना था जो कि नहीं हो रहा है. हालांकि, भारत इस मामले में उन चंद देशों में शामिल है, जिन्होंने इस गाइडलाइंस को अपना लिया है. WHO के मुताबिक खराब पैकेज्ड फूड की वजह से दुनियाभर के लोग ट्रांस फैट का शिकार हो रहे हैं और सालाना करीब 5 लाख लोग समय से पहले मौत के शिकार हो रहे हैं. ट्रांस फैट की वजह से दिल की बीमारी होती है और फिर हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.
'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' (WHO) की रिपोर्ट
'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक 5 अरब लोगों को दिल की बीमारी और उससे होने वाली मौत का खतरा अभी भी बरकरार है. WHO के मुताबिक मार्केट में मिलने वाले पैकेट वाले खाने, चिप्स, रिफाइंड शुगर में काफी मात्रा में ट्रांस फैट मिलता है. जिससे दिल की बीमारी और दूसरी बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. डब्ल्यूएचओ ने पहली बार साल 2018 में फैक्टरी में बने फैट वाले खाने के लिए नियम बनाए थे और साल 2023 तक इस गाइडलाइंस को अमल में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया था. बात ये तय हुई कि फैक्टरी में बनने वाले फैट से सुरक्षा के लिए खास नीतियों का पालन करना जरूरी होगा. दुनिया भर में 2.8 अरब लोगों की सुरक्षा के साथ, 43 देशों ने अब मार्केट में मिलने वाले खाने में पाए जाने वाले फैट से निपटने के लिए सर्वोत्तम अभ्यास नीतियों को लागू किया है. इस लिस्ट में भारत सबसे ऊपर है.
ट्रांस फैट वाले खाने
औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट आमतौर पर पैकेज्ड फूड, बेक किए गए सामान, खाना पकाने के तेल और स्प्रेड में पाया जाता है. दुनिया भर में हर साल दिल की बीमारी वाले मरीज की संख्या 5 अरब है. समय से पहले होने वाली मौतों के लिए ट्रांस फैट की बड़ी भूमिका है.
ट्रांस फैट सेहत के लिए बेहद हानिकारक है और धीरे-धीरे किसी भी इंसान की पूरी हेल्थ खराब कर सकती है. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस के मुताबिक ट्रांस फैट को खत्म करना बेहद मुश्किल है. ट्रांस फैट बेहद खतरनाक होता है. जो जल्दी पचता नहीं है. इंसान के खाने में इसकी कोई जगह होनी नहीं होनी चाहिए. ट्रांस फैट खाने से दिल की बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ जाता है. दुनिया के 16 ऐसे देश हैं जिनकी जनता काफी ज्यादा ट्रांस फैट खाती हैं. जिसमें ऑस्ट्रेलिया, अज़रबैजान, भूटान, इक्वाडोर, मिस्र, ईरान, नेपाल, पाकिस्तान और कोरिया गणराज्य हैं. ट्रांस फैट उन्मूलन नीतियों में सर्वोत्तम अभ्यास डब्ल्यूएचओ द्वारा स्थापित विशिष्ट मानदंडों का पालन करते हैं और सभी सेटिंग्स में औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट को सीमित करते हैं.
WHO ने दो पॉलिसी लागू करने का प्लान बनाया है
1. मार्केट में मिलने वाली खाने की चीजों में प्रति 100 ग्राम सामान पर सिर्फ 2 ग्राम ही फैट यूज किया जाए.
2. सभी पैकेट वाले खानों में रिफाइन तेल जिसमें हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होगी उसे बैन किया जाए. और यह पॉलिसी दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देशों में लागू किया जाए.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
रिज़ॉल्व टू सेव लाइव्स के अध्यक्ष और सीईओ डॉ टॉम फ्रीडेन के मुताबिक ट्रांस फैट की बिक्री को रोकना मुश्किल है लेकिन यह भी सच है कि इसकी वजह से मौत का खतरा बढ़ा है. ऐसे में देश की सरकार को कुछ सर्वोत्तम अभ्यास नीतियों को लागू करना चाहिए. जिससे मौत की संख्या को रोका जा सके. ट्रांस फैट की वजह से मरने वाले लोगों की संख्या में दिन पर दिन वृद्धि हुई है.
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