Cause Mental Health Problems: दुनियाभर में मानसिक बीमारी के शिकार लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 1 अरब लोग मानसिक रोग के शिकार है. जिसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. वहीं बच्चे डेवलपमेंटल डिजॉअर्डर्स से पीड़ित हो रहे हैं. भारत में 5 करोड़ से ज्यादा मेंटल हेल्थ से पीड़ित लोग हैं. मानसिक बीमारी एक तरह का मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जिसमें अलग-अलग तरह की मेंटल हेल्थ कंडीशंस शामिल होती है. मेंटल डिसऑर्डर होने पर व्यक्ति की सोच, मनोदशा और व्यवहार में बदलाव आते हैं. ऐसे में व्यक्ति डिप्रेशन, टेंशन, सिजोफ्रेनिया और ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है. दुनियाभर में बहुत से मानसिक रोगी अपना इलाज बदनामी की वजह से करवाने से कतराते हैं. उन्हें लगता है कि लोग क्या सोचेंगे? कई बार मानसिक बीमारी को समझने में देरी करने या फिर समय से इलाज नहीं करवाने पर मन में सुसाइड करने तक के विचार आने लगते हैं. इसलिए मानसिक रोगी की पहचान करना और इलाज करवाना जरूरी है.
मानसिक रोगी के लक्षण
मानसिक बीमारी के लक्षण उनकी परिस्थितियों के हिसाब से अलग-अलग हो सकते हैं. हालांकि कुछ सामान्य लक्षण हैं जिनसे समझा जा सकता है कि व्यक्ति किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है.
- हर समय उदास महसूस करना
- मन से बेचैन होना या ध्यान केंद्रित न कर पाना
- बहुत चिंता या भय होना
- अपराध की भावनाएं महसूस करना
- मानसिक स्थिति में बहुत बदलाव होना
- समाज, परिवार और दोस्तों से दूर रहना
- शरीर में थकान और ऊर्जा में कमी
- नींद ज्यादा या बहुत कम आना
- किसी तरह की भ्रम की स्थिति में रहना
- अपने डेली के काम न कर पाना
- किसी नशा या शराब ज्यादा पीना
- खाने की आदतों में बदलाव आना
- बहुत गुस्सा या हिंसक व्यवहार दिखाना
- सेक्स ड्राइव में बदलाव आना
- आत्महत्या करने के विचार आना
- पीठ, सिर या कहीं हर वक्त दर्द रहना
कब और क्यों आते हैं सुसाइड करने के ख्याल
दरअसल जब व्यक्ति किसी तरह की मानसिक बीमारी को झेल रहा होता है तो उसके दिमाग में ऐसे ख्याल आने लगते हैं. व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है. उसे लगता है उसकी किसी को जरूरत नहीं है. पीड़ित व्यक्ति को लगता है अब सब खत्म हो गया वो जी कर क्या करेगा. अकेलापन और डिप्रेशन ऐसे विचारों को पैदा करते हैं. जानिए इस तरह के विचारों से कैसे बचें.
मानसिक बीमारी से बचाव कैसे करें?
मानसिक बीमारी को रोकने और पीड़ित व्यक्ति को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि जल्दी मानसिक रोगी की पहचान की जाए और उसकी काउंसलिंग की जाए. इससे उसे ठीक किया जा सकता है. पीड़ित व्यक्ति के साथ समय बिताएं. उससे बातें करें और उसकी परेशानी जानने की कोशिश करें. अच्छी डाइट लें, किताबें पढ़ें और अपने मन की बातें लिखें, मनोचिकित्सक की सलाह लें, भरपूर नींद और थेरेपी का सहारा लें.
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