आजकल 8 और 9 साल की लड़कियों को भी पीरियड्स आने लगे हैं. इतनी कम उम्र में पीरियड्स आना न केवल बच्चों के लिए परेशानी भरा हो सकता है, बल्कि माता-पिता के लिए भी एक चुनौती बन जाता है. यह चिंता की बात हो सकती है, लेकिन इसके पीछे कुछ कारण है. यह जानना जरूरी है कि ऐसा क्यों हो रहा है और अपनी बेटियों का ख्याल कैसे रखना चाहिए. आज हम इन कारणों को समझेंगे और जानेंगे कि अपनी बेटियों की देखभाल कैसे करें ताकि वे हेल्दी और खुश रह सकें. 


कम उम्र में पीरियड्स आने के कारण



  • हार्मोनल बदलाव: बच्चों के शरीर में हार्मोनल बदलाव जल्दी हो रहे हैं, जिससे पीरियड्स जल्दी शुरू हो जाते हैं.

  • खानपान: आजकल के खाने में कई तरह के केमिकल्स और प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जो हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकते हैं.

  • पर्यावरण: प्रदूषण और बदलती लाइफस्टाइल भी इस स्थिति का एक बड़ा कारण हैं.

  • वजन बढ़ना: बच्चों का वजन तेजी से बढ़ने से भी हार्मोनल बदलाव जल्दी हो सकते हैं. 


बेटियों का ख्याल कैसे रखें
जब लड़कियों को पहली बार पीरियड्स आते हैं, तो उन्हें सही जानकारी और देखभाल की जरूरत होती है. यहां कुछ खास बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए. 


सही जानकारी दें
बेटियों को पीरियड्स के बारे में आसान और सही जानकारी दें. उन्हें बताएं कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है और इसमें घबराने की जरूरत नहीं है.


सही डाइट लें
बेटियों के खाने में हरी सब्जियां, फल और प्रोटीन शामिल करें. फास्ट फूड और केमिकल युक्त भोजन से बचाएं.


साफ-सफाई का ध्यान
पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई का ध्यान रखें. उन्हें सिखाएं कि सैनिटरी पैड्स का सही इस्तेमाल कैसे करें और समय-समय पर इन्हें बदलें. 


भावनात्मक समर्थन
पीरियड्स के समय लड़कियां भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकती हैं. उनसे बात करें, उन्हें समझाएं और उनका समर्थन करें.


आरामदायक कपड़े
पीरियड्स के समय आरामदायक और साफ कपड़े पहनने की सलाह दें. इससे वे अधिक सहज महसूस करेंगी.


दर्द से राहत
अगर उन्हें पेट दर्द हो तो गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें.जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवाइयां भी दी जा सकती हैं.


जब लड़कियों को पीरियड्स आते हैं, तो उनके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं. ये बदलाव उनके शरीर और मन दोनों पर असर डालते हैं. आइए जानते हैं कि पीरियड्स के दौरान कौन से हार्मोन बदलते हैं और इनका क्या असर होता है. 


मूड स्विंग्स
हार्मोनल बदलाव के कारण लड़कियों का मूड बदल सकता है. वे कभी खुश तो कभी उदास महसूस कर सकती हैं. इसे प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है. 


शारीरिक बदलाव
पीरियड्स के दौरान एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में बदलाव के कारण शरीर में सूजन, वजन बढ़ना, और ब्रेस्ट टेंडरनेस (छाती में दर्द) हो सकता है. 


त्वचा में बदलाव
हार्मोनल बदलाव के कारण कुछ लड़कियों को पिंपल्स या एक्ने की समस्या हो सकती है.


ऊर्जा स्तर
पीरियड्स के दौरान लड़कियों को थकान महसूस हो सकती है. हार्मोनल बदलाव के कारण शरीर में ऊर्जा की कमी हो सकती है.


भूख में बदलाव
कुछ लड़कियों को पीरियड्स के दौरान ज्यादा भूख लग सकती है, जबकि कुछ को भूख कम लग सकती है. यह भी हार्मोनल बदलाव के कारण होता है.


पेट दर्द
प्रोजेस्टेरोन का स्तर घटने से यूटेरस की मांसपेशियों में संकुचन होता है, जिससे पेट में दर्द होता है. इसे क्रैम्प्स कहा जाता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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