भारत में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों में अलग तरह के लक्षण सामने आ रहे हैं. फेफड़े और दिल संबंधी समस्या आने के बाद उन्हें अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारत में डॉक्टरों ने कोविड-19 से संबंधित नई तरह की चुनौतियों की बात कही है. उन चुनौतियों में फेफड़े की फ्राइब्रोसिस, पल्मोनरी एम्बोलिज्म जैसे लक्षण शामिल हैं. ये समस्या कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में पाई जा रही है. फेफड़ा रोग विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया भर में फेफड़े के नुकसान से श्वसन संबंधी शिकायतों के बाद कोविड-19 से ठीक हो चुके लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं.


Lung fibrosis


विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद फेफड़े की समस्या लंबे समय तक रह सकती है. उनके मुताबिक संक्रमण से होनेवाला नुकसान फेफड़े के फड़कने का कारण बनता है. जिसका असर लंबे समय तक देखा जा सकता है. अस्पातल से डिस्चार्ज होने के बाद फेफड़े की फाइब्रोसिस में घर पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है. कुछ मामलों में तो मरीज का हृदय स्वास्थ्य भी प्रभावित होने की आशंका रहती है. हैदराबाद में मेडीकोवर अस्पताल के सीनियर डॉक्टर रघु कान्त कहते हैं, “कोविड-19 शुरू में फेफड़े को निशाना बनाता था. जिसकी वजह से सांस लेने में मरीजों को दुश्वारी पेश आ रही थी.”

अपोलो अस्पताल के डॉक्टर प्रसन्ना कुमार रेड्डी बताते हैं, “कोविड-19 से ठीक हो चुके कुछ मरीजों को फेफड़े की जटिलता का सामना करना पड़ रहा है. मगर अभी इसका कारण फाइब्रोसिस बताना जल्दबाजी होगा. हम मरीजों को एंटी फाइब्रोटिक दवाइयां दे रहे हैं. कुछ समय बाद ही इसके प्रभाव के बारे में पता चलेगा. आकलन करने के लिए मरीजों को हर दो महीने पर CT स्कैन करने की सलाह दी जा रही है.” उनका कहना है कि फेफड़ी की फाइब्रोसिस का अध्ययन कई कोविड-19 के मामलों में किया जा रहा है. लेकिन अभी ये साफ नहीं है कि लंबे समय में क्या ये फेफड़े को बुरी तरह प्रभावित करेगा या नहीं.


Pulmonary Thrombo Embolism


पल्मोनरी एम्बोलिज्म दूसरी समस्या है जिसका सामना कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों को करना पड़ रहा है. फेफड़े की धमनियों में ब्लॉकेज हो जाने से फेफड़े तक खून के संचार में बाधा उत्पन्न होती है. एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक अखबार को इंटरव्यू देते हुए बताया था, “महामारी के शुरू में डॉक्टरों का मानना था कि कोरोना वायरस श्वसन तंत्र को संक्रमित कर रहा है. मगर अब मरीजों में खून के थक्कों को देखकर कहा जा सकता है कि वायरस ऑक्सीजन की आपूर्ति पर हमला कर रहा है. जिसकी वजह से शरीर के अन्य अंगों तक ऑक्सीजन की पहुंच नहीं हो पाती.”


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