भारत समेत दुनिया भर में छोटे बच्चे आए दिन दुर्घटना का शिकार होते हैं. दुर्घटना चाहे मामूली हो या गंभीर, इसमें बच्चों की जान जाती है या फिर उनको चोट लगना तय है. बच्चों की निगरानी के बावजूद कई दफा देखने में ये आया है कि बिना किसी दुर्घटना के भी बच्चों को नुकसान पहुंच जाता है. माता-पिता बहुत सारी जगहों को बच्चों की बीमारी कारण नहीं समझते. आइए हम आपको कुछ बुनियादी जानकारी मुहैया कराते हैं जिन पर अमल कर आप अपने बच्चों को बीमारियों और दुर्घटनाओं से सुरक्षित रख सकते हैं.
छोटे बच्चों का डब्ल्यू पोजीशन में बैठना
अक्सर आपने ऐसे बच्चों को देखा होगा जो खेलते वक्त डब्ल्यू पोजीशन में बैठना पसंद करते हैं. बच्चे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें डब्ल्यू पोजीशन में बैठना आरामदेह महसूस होता है. मगर आप जानते हैं इसका नुकसान. ऐसी पोजीशन में बैठने से बच्चों के टांगों की जोड़ पर प्रभाव पड़ता है और हड्डियां भी टेढ़ी होने की आशंका बनी रहती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसी हालत में बैठना बच्चों की कमर और गर्दन पर बोझ बढ़ा देता है. यहां तक कि कुछ वक्त बाद भयंकर तकलीफ का कारण बन जाता है. डब्ल्यू पोजीशन में बैठने से बच्चों के पेट की मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं.
छोटे बच्चों का मिट्टी में खेलना
बच्चे किसी भी उम्र के हों उन्हें मिट्टी में खेलना पसंद होता है. लेकिन क्या आपको मालूम है बच्चों का मिट्टी में खेलना कितना खतरनाक है ? बच्चों के मिट्टी में खेलने से उन्हें कई बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं. उन बीमारियों में पेट की बीमारी प्रमुख है. डॉक्टरों का कहना है कि खेल-खेल में बच्चे अपने गंदे हाथों को मुंह में ले जाते हैं. जिसके कारण खतरनाक कीटाणु उनके पेट में पहुंचकर बीमारी को जन्म देते हैं.
बच्चों का कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप या मोबाइल से खेलना
आज कल हर घर में कम से कम मोबाइल की पहुंच हो गयी है. माता-पिता बच्चों की जिद के आगे बेबस हो जाते हैं और उन्हें मोबाइल थमाकर अपने आपको फ्री महसूस करते हैं. इधर बच्चे लैपटॉप, डेस्कटॉप, कंप्यूटर या फिर मोबाइल पर गेम देखने में व्यस्त हो जाते हैं. लेकिन ऐसे उपकरणों के स्क्रीन से निकलनेवाली नीली रोशनी बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है. डॉक्टरों के मुताबिक, नीली रोशनी बच्चों की आंखों और नींद को प्रभावित करती है. साथ ही सिर दर्द, गर्दन और कंधों का दर्द, आंखों में सूखापन और चिड़चिड़ापन का कारण बन जाता है.