हाल ही में एक नई रिसर्च से यह पता चला है कि भारत में ट्रांसजेंडर और विकलांग लोग कोविड वैक्सीन क्यों नहीं ले रहे हैं. इस अध्ययन में इन समुदायों के लोगों ने वैक्सीन न लेने के कई कारण बताए, जिनमें उनकी खास जरूरतें और पुराने बुरे अनुभव हैं. रिसर्च बताती है कि इन समुदायों का स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा कम है और सरकारी पहलों में कमी के कारण वे वैक्सीन लेने से हिचकिचाते हैं.
जानें क्या कहता है रिसर्च
रिसर्च कहता है कि भारत में कुछ ट्रांसजेंडर और विकलांग लोग कोविड-19 की वैक्सीन लेने में हिचकिचाहट महसूस करते हैं. यह अध्ययन 'संगठ भोपाल हब' में किया गया, जो स्वास्थ्य समानता अधिवक्ता और अनुसंधान पहल (iHEAR) का हिस्सा है. इस शोध को सैबिन वैक्सीन संस्थान, यूएसए ने वित्तीय सहायता प्रदान की थी.
शोध की मुख्य बातें
- झिझक के कारण: शोध में देखा गया कि ट्रांसजेंडर और विकलांग लोग वैक्सीन लेने में क्यों हिचकिचाते हैं. इनमें से कई व्यक्तियों ने बताया कि वे किस तरह से पिछली स्वास्थ्य सेवाओं के नकारात्मक अनुभवों के कारण वैक्सीन लेने से डरते हैं.
- स्वास्थ्य की खास जरूरतें: ट्रांसजेंडर लोगों के लिए, उनकी हार्मोन थेरेपी और दूसरे उपचारों के साथ कोविड वैक्सीन कैसे काम करेगी, इसकी जानकारी बहुत जरूरी है. यह उनके लिए एक बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि अगर वैक्सीन और उपचार एक दूसरे के साथ ठीक से काम नहीं करते, तो यह समस्या पैदा कर सकता है. इसी तरह, जिन लोगों को कोई विशेष विकलांगता है, उनके लिए भी यह जानना जरूरी है कि वैक्सीन उनकी विकलांगता और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के साथ कैसे प्रतिक्रिया करेगी. यह सुनिश्चित करना कि वैक्सीन सुरक्षित है, उनके लिए बहुत अहम है.
- सरकारी पहलों में कमी: अध्ययन में यह भी सामने आया कि सरकारी संचार और जागरूकता प्रयासों में कमी के कारण इन समुदायों तक पहुंचने में दिक्कतें आईं. इस कमी को दूर करने की जरूरत है ताकि सभी को सही जानकारी मिल सके और वे वैक्सीन लेने के लिए आगे आएं.