Why People Commit Suicide: नए साल के स्वागत के लिए सभी तैयार हैं और हम ऐसे मौके पर आपको इतनी गंभीर खबर क्यों पढ़ा रहे हैं... ये सवाल आपके मन में जरूर आएगा. तो इसकी भी एक वजह है, क्योंकि दिसंबर के महीने में हमारा देश टीवी जगत की एक उम्दा ऐक्ट्रेस तुनिषा शर्मा को खो चुका है. उन्होंने आत्महत्या की है. खबर है कि वे अपने ब्रेकअप के बाद से बहुत दुखी थीं और उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी. तुनिषा को तो हम खो चुके लेकिन हमें ये समझना होगा कि किसी भी व्यक्ति की मानसिक हालत एकाएक इतनी खराब नहीं होती है कि वो सुसाइड कर ले. उसके जीवन में पहले से काफी कुछ चल रहा होता है. नए साल की शुरुआत सर्दी के मौसम में होती है और सर्दी का समय मेंटल हेल्थ के लिए बहुत ही नाजुक होता है.
इस मौसम में लो मूड, एंग्जाइटी, सीजनल डिप्रेशन, मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं बहुत अधिक होती हैं. यही कारण है कि सर्दी के मौसम में अन्य सीजन के मुकाबले आत्महत्या की घटनाएं बढ़ जाती हैं. इतना ही नहीं इस सीजन में मानसिक रोगियों की संख्या भी बढ़ जाती है. क्योंकि जो लोग पहले कभी किसी मेंटल हेल्थ इश्यू से परेशान रहे होते हैं, ध्यान ना रखने पर उनमें ये समस्याएं फिर से ट्रिगर होने के चांस बढ़ जाते हैं. जबकि जो लोग पहले से नाजुक मेंटल हेल्थ से गुजर रहे होते हैं, उनमें समस्या अचानक गंभीर हो सकती है.
इसलिए नए साल की संध्या में ये खबर पढ़ाने का मोटिव तो यही है कि आप अपने आस-पास किसी भी फ्रेंड, फैमिली मेंबर या परिचित को लो-मूड से गुजरते हुए या लंबे समय से उदास देखें तो उसे अकेला ना छोड़ें. जितना हो सके, उसे सुनने का प्रयास करें, डॉक्टर की मदद लें, उसका ध्यान रखें. ताकि उसे अपने टफ टाइम से बाहर आने में मदद मिले. हम मेंटल हेल्थ इश्यूज को लेकर अवेयर रहेंगे और इस तरह की समस्या से गुजर रहे लोगों की हेल्प करेंगे, इस साल ये भी हमारा एक न्यू ईयर रेजॉलूशंस होना चाहिए...
कोई क्यों करता है आत्महत्या?
आत्महत्या या सुसाइड करने का कदम कोई क्यों उठा लेता है, इस प्रश्न के उत्तर में उन इमोशन्स को एक्सप्लेन कर पाना संभव नहीं है, जो किसी व्यक्ति को इतना अंदर तक तोड़ देते हैं कि उसे चारों तरफ सिर्फ निराशा दिखाई देती है. उसे ना कोई अपना लगता है और ना ही जीवन का कोई मोटिव दिखता है. हालांकि कोई भी व्यक्ति एकाएक इतना अधिक नहीं टूट जाता है कि सुसाइड कर ले. यह प्रक्रिया काफी लंबे समय से चल रही होती है, जिसमें परेशान करने वाली, इमोशनली हर्ट करने वाली, अकेला फील कराने वाली या इनसल्टेड फील कराने वाली बहुत सारी घटनाएं होती हैं, इन घटनाओं का दर्द लंबे समय से इन लोगों के मन में चल रहा होता है.
सर्दी में क्यों बढ़ जाते हैं डिप्रेशन के मरीज?
- सर्दी के मौसम में मेंटल हेल्थ इश्यूज बढ़ जाने की बड़ी वजह होता है ठंडक रहना, सूरज की रोशनी का कम हो जाना, धूप की तल्खी कम होना और दिन की रोशनी में कम समय बिताना या बिल्कुल समय ना बिताना.
- इन सभी के साथ जो लोग अपनी डायट का ध्यान नहीं रखते हैं, हेल्दी लाइफस्टाइल में मेंटेन नहीं रखते हैं, उनके लिए इस बात का खतरा कई गुना बढ़ जाता है कि वे स्ट्रेस, एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी खतरनाक मानसिक समस्याओं की चपेट में आ जाएं.
डिप्रेशन का कारण क्या है?
सर्दी के मौसम में डिप्रेशन के मरीज बढ़ने की जो वजह बताई गई हैं, ये सभी कहीं ना कहीं एक खास हार्मोन के सीक्रेशन को कम करने का काम करती हैं. इस हार्मोन को आप डोपामिन के नाम से जानते हैं. ये हैपी हार्मोन है और मूड को लाइट रखने का काम करता है. यदि किसी भी कारण शरीर के अंदर इस हार्मोन की कमी हो जाती है तो डिप्रेशन बढ़ाने वाला हार्मोन कॉर्टिसोल शरीर पर हावी हो जाता है. ऐसे में पहले नेगेटिविटी बढ़ती है और फिर व्यक्ति धीरे-धीरे अवसाद की तरफ जाने लगता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें-
क्या अपने बच्चे को अच्छी तरह समझते हैं? हर 7 में से 1 बच्चा है लो मूड का शिकार, जानें कैसे पता चलेगा